For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मैं उसकी ताब से खो कर हवास बैठा था ( गिरिराज भंडारी )

1212   1122   1212   22  
नहीं ये ठीक, मैं तन्हा उदास बैठा था

मैं उसकी ताब से खो कर हवास बैठा था

                                                                                    

नज़र उठा के तेरी सिम्त कैसे करता मैं

नज़र से चल के कोई दिल के पास बैठा था

 

कहीं नदी की रवानी थमी थी पत्थर से

कहीं लिये कोई सदियों की प्यास बैठा था

 

है मोजिज़ा कि ख़ुदा का करम बहा मुझ पर   

वो तर बतर हुआ जो मेरे पास बैठा था

 

जलीं वहीं पे दुकानें बहुत सी कपड़ों की

जहाँ सड़क पे कोई बे लिबास बैठा था

 

उधर से गोलियाँ चलतीं, इधर से पत्थर थे

खबर ये देख के, मैं बद हवास बैठा था

 

डरी हुयी थी हक़ीक़त, वो बोलती कैसे

टिकाये अस्लहे सर पर, क़यास बैठा था     

************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1002

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:32pm

आदरणीय राम बली भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय तल से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:32pm

आदरणीय गुमनाम भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by रामबली गुप्ता on September 19, 2017 at 10:12pm
वाह वाह आद0 गिरिराज भाई जी। बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2017 at 4:40pm
आ.भाई गिरिराज जी, अभीवादन । सुंदर गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2017 at 6:15pm

आदरणीया अलका जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 18, 2017 at 3:51pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर अभिवादन ,बेहद खूबसूरत गजल के लिए बहुत बधाई । सादर  ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2017 at 7:57am

आदरणीय समर भाई , गज़ल पर उपस्थित हो कर उत्साह वर्धन करने के लिये आभार आपका ।

Comment by Samar kabeer on September 17, 2017 at 9:37pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2017 at 1:37pm

आदरनीय वासुदेव भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2017 at 1:36pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये हृदय से आभार आपका ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
12 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
20 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service