For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दो पहर की धूप भी अच्छी लगी ( गिरिराज भंडारी )

2122    2122    212

दो पहर की धूप भी अच्छी लगी

साथ उनके हर कमी अच्छी लगी

 

यादों की थीं खुश्बुयें फैलीं वहाँ

तुम न थे फिर भी गली अच्छी लगी

 

कब कहा मैनें कि मैं था शादमाँ

कुल मिला कर ज़िन्दगी अच्छी लगी

 

सब में रहता है ख़ुदा ये मान कर

जब भी की तो बन्दगी अच्छी लगी

हाँ, ज़बाँ से भी कहा था कुछ मगर  

जो नज़र ने थी कही, अच्छी लगी

 

दोस्ती तो थी हमारी नाम की  

पर तुम्हारी दुश्मनी, अच्छी लगी

 

चाहतें पूरी हुईं तो मर गईं

जो अधूरी थी बची, अच्छी लगी

********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 22, 2017 at 10:23pm
यादों की थीं खुश्बुयें फैलीं वहाँ
तुम न थे फिर भी गली अच्छी लगी...बहुत खूबसूरत आदरणीय बहुत खूबसूरत
Comment by Ravi Prabhakar on September 21, 2017 at 10:40pm

वाह ! शानदार ग़ज़ल कही भोले भंडारी बाबा !

यादों की थीं खुश्बुयें फैलीं वहाँ

तुम न थे फिर भी गली अच्छी लगी

चाहतें पूरी हुईं तो मर गईं

जो अधूरी थी बची, अच्छी लगी

इन दो शे'रों के लिए विशेष बधाई स्‍वीकारें ।  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:31pm

आदरणीय समर भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति हो उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार  ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:30pm

आदरणीय नीरज भाई , आपकी मुखर सराहना ने गज़ल कहना सार्थक कर दिया , आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:28pm

आदरणीय बसंत भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:28pm

आदरणीय मोहित भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2017 at 6:27pm

आदरणीय राम अवध भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।

Comment by Niraj Kumar on September 20, 2017 at 5:00pm

आदरणीय गिरिराज जी,

बहुत खूब! बेहतरीन! मैं भी थोडा शायर हो लेता हूँ :

इसकी मीठी सादगी अच्छी लगी.

सादर 

Comment by Samar kabeer on September 20, 2017 at 2:14pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 9:07pm

वाह अदभुत 

चाहतें पूरी हुईं तो मर गईं 

ज अधूरी थी बची अच्छी लगी, क्या बात है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service