For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हौसला ( लघुकथा -जानकी बिष्ट वाही )

गोधूलि बेला में भी जब वह नौजवान उस चट्टान से नहीं उठा तो तो मेरा मन आशंकित हो उठा।साँझ तेजी से कालिमा के आगोश में समा रही थी और सागर की उत्ताल लहरें पागलों की तरह उस नौजवान के पाँवों से कुछ नीचे चट्टानों पर अपना सिर पटक रही थीं।
जब भी मैं कभी उदास या खुश होता हूँ तो यहाँ आकर सागर को निहारना मुझे सुक़ून देता है।

अब मैं घर जाना चाहता है पर उस नौजवान की भावभँगिमा मेरे पाँवों की बेड़ी बन मुझे रोक रही है।

"छोड़ो ,मुझे क्या? होगा कोई ? मैंने क्या सारी दुनिया का ठेका ले रखा है।"
ख़ुद को लताड़ लगाई, फिर वापसी के दो कदम चल कर वापस उस नौजवान के पास जा खड़ा हुआ।

ऩौजवान ने प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखा और खुद ही बोल पड़ा।

" मैं ,मरने नहीं जा रहा हूँ।"

इतना कह फिर दूर क्षितिज़ को निहारने लगा। नौजवान की आवाज़ सुनते ही मुझे लगा मेरे दिल और दिमाग की जकड़न खुलने लगी है।तसल्ली की साँस लेते हुए बोला-
"तुम्हारे मन में क्या चल रहा मैं नहीं जानता पर ये जानता हूँ कि तुम्हारे घर पर दो जोड़ी बूढ़ी आँखें ज़रूर तुम्हारी राह निहार रही होंगी।"

उसने मुझे जिन आँखों से देखा उससे मैं थोड़ा विचलित हो उठा।फिर वह अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और मेरे निकट आकर बोला-

" अब तक मैं चार नौकरियों से निकाला जा चुका हूँ।हर कम्पनी को जब लगता है वह मेरे भेजे को पूरी तरह निचोड़ चुके हैं तो लात मार बाहर कर देते हैं।अक्सर मैं सोचता हूँ कि ये प्राइवेट कम्पनियां अपने कामगारों को जिन्दा नहीं मुर्दा समझती हैं। ।"

उसकी बात सुन मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कह उसके आक्रोश को सांत्वना दूँ।
उसने नीचे झुक एक पत्थर उठाया और लहरों की तरफ़ उछाल दिया।

" अब तुम क्या करोगे ? नई नौकरी की तलाश ?"

" जो लोग जीते जागते लोगों को लाशों में बदल युवा सपनों की कब्र बना देते हैं , उन तक जाने वाली राह अब मैं नहीं जाने वाला।आज से मैं आज़ाद हूँ।और मेरी सोच उन्मुक्त है।अब मैं गाँव की बंज़र जमीनों को ज़िंदा करूँगा। जहाँ उम्मीदों की खेती करूँगा।"

"आमीन "
मेरे मुँह से बेसाख़्ता निकल गया।

उसने चमकती आँखों से मुझे देखा और चाँद रात से रोशन पगडंडी पर आगे बढ़ चला।


मौलिक एवम् अप्रकाशित
जानकी बिष्ट वाही
नॉएडा-उत्तर प्रदेश
23/9/17

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 7:40pm

आ. जानकी वाही जी, अच्छी लगी आपकी लघुकथा. शुरुआत की पंक्तियाँ कहानी अथवा उपन्यास के लिए मुझे ज्यादा मुफ़ीद लगीं हालाँकि शब्दों का चयन आपने बहुत अच्छा किया है. मुख्य पात्र के अन्तिम संवाद में संभवतः थोड़े से सम्पादन की आवश्यकता है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर. 

Comment by Nita Kasar on September 25, 2017 at 4:09pm
व्यथित युवा की मनोदशा को बख़ूबी उकेरा है आपने कथा के जरिये बधाई आद० जानकी वाही जी ।
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 3:22pm
मोहतरमा जानकी वाही जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Janki wahie on September 25, 2017 at 11:06am
हार्दिक आभार आ.विजय निकोर जी।
Comment by Janki wahie on September 25, 2017 at 11:05am
सादर अभिवादन और हार्दिक आभार आ. वीरेंद्र वीर जी। आपककथा पर अनुमोदन उत्साह वर्धन करने वाला है साथ ही और बेहतर लेखन को प्रेरित करने वाला भी।
Comment by Janki wahie on September 25, 2017 at 11:03am
सादर अभिवादन और हार्दिक आभार आ.सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।आपके द्वारा की गई हौसला अफ़जाई बेहतर लेखन को प्रेरित करेगी।
Comment by Janki wahie on September 25, 2017 at 11:00am
कथा पर उपस्थित होकर हौसला अफ़जाई करने हेतु हार्दिक आभार आ.विजय शंकर जी।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 25, 2017 at 10:24am

सुन्दर कथ्य लिए बेहतरीन रचना... सकारात्मक अंत लिए इस अच्छी लघु कथा के लिए,

हार्दिक बधाई स्वीकार करें...जानकी जी

Comment by नाथ सोनांचली on September 25, 2017 at 4:53am
आदरणीया जानकी जी सादर अभिवादन, बेहतरीन कथानक,अच्छा ताना-बाना, एक सकारात्मक सोच की को प्रतिबिंबित करती अच्छी लघु कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by vijay nikore on September 25, 2017 at 4:12am

इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीया जानकी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service