For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२२ २२ २२ २२ २२ २२  

दिल की बातें वो भी समझें ये  सोचा था 

होंगी मिलकर सारी बातें ये  सोचा था ?

चले जायेंगे अपने रस्ते वो भी इक दिन 

रह जाएंगी तन्हा रातें ये   सोचा था ?

जीवन जैसा होगा उसको जी लेना है 

दर्दो अलम की ले सौगातें ये सोचा था ?

एक बहाना मुझको जीने का मिल जाता 

रह जातीं बस उनकी यादें ये सोचा था ?

डूब गयीं हूँ प्यार में जिनके मैं " रौनक" जी 

इक दिन मुझको वो भूलेंगे ये सोचा था ? 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2017 at 4:32pm
आदरणीया कल्पनाजी बढ़िया ग़ज़ल हुयी है बधाई स्वीकारें सादर
Comment by Samar kabeer on October 1, 2017 at 3:18pm
जनाब अफ़रोज़ साहिब आदाब,
चले जा/'जा'में मात्रा पतन फेलुन
एंगे/फेलुन
अपने/फेलुन
रस्ते/फेलुन
वो भी/फेलुन
इक दिन/फेलुन
---
दर्द-ओ-/फेलुन
अलम की/फेलुन,मात्रा पतन ।
ले सौ/फेलुन
ग़ातें/फेलुन
ये सो/फेलुन
चा था/फेलुन
ठीक तो है भाई ?
Comment by Afroz 'sahr' on October 1, 2017 at 2:57pm
आदरणीय कल्पना रौनक़ जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई आपको ।दूसरे शेर का उला मिसरा और तीसरे शेर का सानी मिसरा अर्कान के मुताबिक तक़्तीअ पर खरा उतरता दिखाई नहीँ पड़ता है। बाकी गुणीजन अपनी राय देंगे।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 1, 2017 at 1:35pm

आदरणीया  KALPANA BHATT ('रौनक़') जी  , बहुत सुंदर  ग़ज़ल ,हार्दिक बधाई ।  सादर.

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 28, 2017 at 6:06pm
मुहतर्मा कल्पना रौनक़ साहिबा ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।
Comment by Mahendra Kumar on September 27, 2017 at 7:49pm

आ. कल्पना मैम, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 27, 2017 at 6:38pm

धन्यवाद् आदरणीय रामबली गुप्ता जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 27, 2017 at 6:37pm

धन्यवाद आदरणीय बृजेश कुमार जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 27, 2017 at 6:36pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय तेज वीर सिंह जी | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 27, 2017 at 6:35pm

धन्यवाद आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
14 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service