For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब कुछ उपलब्ध है दुकानों में (ग़ज़ल)

2122 1212 22

सब हैं मसरूफ़ अब उड़ानों में
देखिये भीड़ आसमानों में

प्यार? ईमान? दोस्ती? जी हाँ
सब कुछ उपलब्ध है दुकानों में

भुखमरी,बालश्रम,अशिक्षा..सब
मिट चुके हैं फ़क़त बयानों में

पत्थरों से उन्हीं की यारी है
जो हैं शीशे-जड़े मकानों में

सच्चे हीरे की है तलाश अगर
जा! भटक कोयले की खानों में

बच्चे लड़-भिड़ के खेलने भी लगे
गुफ़्तगू बंद है सयानों में

फ़र्श से अर्श पर मैं जा पहुँचा
कितनी ताक़त है देखो तानों में

उसकी यादों की कूक गूँजे जब
मिश्री घुलती है दिल के कानों में

शायरी ने शुमार कर डाला
नाम तेरा भी "जय" दीवानों में

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2017 at 4:43pm

अच्छी ग़ज़ल पेश की है आ. जयनीत जी
बधाई ..
समर सर की बातों का संज्ञान लें

Comment by Ravi Shukla on September 27, 2017 at 2:26pm
आदरणीय जयंत जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने गुफ्तगू बंद है सयानों में अच्छा शेर लगा हमें बहुत-बहुत बधाई बारीक बातें आदरणीय समर साहब ने बता दी हैं उन पर गौर करिएगा एक बार फिर से मुबारक
Comment by Samar kabeer on September 27, 2017 at 12:16pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'मिट चुके हैं फ़क़त बयानों में'
ये मिसरा स्पष्ट नहीं है,ऊला के हिसाब से भाव ये बनता है:-
'मिल रहे हैं फ़क़त बयानों में'

'जा!भटक कोयले की खानों में'
इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये ।
'मिश्री घुलती है दिल के कानों में'
'दिल के कानों'क्या बात हुई ?यूँ होना चाहिए:-
'मिश्री घुलती है मेरे कानों में'
मक़्ते के सानी मिसरे में 'दीवानों' को "दिवानों" कर लें ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 27, 2017 at 8:31am
आद0 जयनित मेहता जी सादर अभिवादन, बेहतरीन ग़ज़ल कहीं आपने, बधाई आपको।शेष गुणीजन अपनी राय देंगें। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
11 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service