For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदमी मैं कभी बड़ा न हुआ (ग़ज़ल)

2122 1212 22

दर्द से जिसका राब्ता न हुआ
ज़ीस्त में उसकी कुछ नया न हुआ

हाल-ए-दिल उसने भी नहीं पूछा
और मेरा भी हौसला न हुआ

आरज़ू थी बहुत, मनाऊँ उसे
उफ़! मगर वो कभी ख़फ़ा न हुआ

तब तलक ख़ुद से मिल नहीं पाया
जब तलक ख़ुद से गुमशुदा न हुआ

सिर्फ़ इक पल की थी वो क़ैद-ए-नज़र
जाने क्यों उम्र-भर रिहा न हुआ

मुझसे छूटी नहीं ख़ुलूस-ओ-वफ़ा
आदमी मैं कभी बड़ा न हुआ

अपनी ख़ुशबू ख़ला में छोड़ के "जय"
दूर होकर भी वो जुदा न हुआ

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 6, 2017 at 9:02pm
भाई जयनित जी हार्दिक बधाई ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 5, 2017 at 11:05pm
क्या ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय मेहता जी..हार्दिक बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 5, 2017 at 5:01pm

भाई जयनित जी, आपकी कोशिशों के लिए हार्दिक बधाइयाँ .

कई अश’आर अपने कथ्य और सोच से उम्मीद जगाते हैं. जैसे - 

आरज़ू थी बहुत, मनाऊँ उसे
उफ़! मगर वो कभी ख़फ़ा न हुआ

तब तलक ख़ुद से मिल नहीं पाया
जब तलक ख़ुद से गुमशुदा न हुआ

शुभेच्छाएँ 

Comment by Mahendra Kumar on September 5, 2017 at 3:59pm

आ. जयनित जी, अच्छी लगी आपकी ग़ज़ल. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by PHOOL SINGH on September 4, 2017 at 3:01pm

प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 4, 2017 at 5:14am
आदरणीय जयनित कुमार जी आदाब,बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद क़बूल कीजिए।
Comment by Gajendra shrotriya on September 3, 2017 at 10:12pm
//सिर्फ़ इक पल की थी वो क़ैद-ए-नज़र
जाने क्यों उम्र-भर रिहा न हुआ//
शानदार,उम्दा,लाजवाब कहन।
//मुझसे छूटे नहीं ख़ुलूस-ओ-वफ़ा
आदमी मैं कभी बड़ा न हुआ//
वाह!खूब कहा है।
अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आ० जयनित भाई।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 3, 2017 at 6:41pm
भाई जयनित जी हार्दिक बधाई ।
Comment by Mohammed Arif on September 3, 2017 at 6:39pm
आदरणीय जयनित कुमारक्षजी आदाब,बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद क़बूल कीजिए। आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात पर गौर करें ।
Comment by Samar kabeer on September 3, 2017 at 12:08pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
छटे शैर में 'ख़ुलूस' पुल्लिंग है, देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service