For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जागे हिंदुस्तान/ गीत

जीवन डगर बहुत पथरीली
संभलो मनुज सुजान,
जागे हिंदुस्तान हमारा जागे हिंदुस्तान।

हिन्दू मुस्लिम भाई भाई प्रेम का धागा टूट गया।
न जाने कितनी माँगो का फिर से ईंगुर रूठ गया।
मानवता जब दानवता की चरण पादुका धोती है,
तभी मालदा वाली घटना तभी पूर्णिया रोती है।

धर्म के पहरेदारों बोलो,
कब लोगे संज्ञान।।
जागे--------

संस्कार की नींव हिल गयी बिका हुस्न बाजरों में।
कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में।
जाति पांति के भेदभाव में देश जलाकर चले गए,
सकुनी वाली कूटनीति की दाल गलाकर चले गए।

अर्जुन के रणवीरों कर लो,
अब तो सर संधान।।
जागे-------

सीए (डा०) शैलेंद्र सिंह 'मृदु'

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on October 16, 2017 at 11:35am
आदरणीय बृजेश जी उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
टाइपिंग मिस्टेक हो गयी है बाजार शब्द ही है।
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on October 16, 2017 at 11:33am
आदरणीया kalpana bhatt ji जी उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on October 16, 2017 at 11:32am
आदरणीय samar kabeer ji जी उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on October 16, 2017 at 11:13am
आदरणीय mohammed Arif ji जी उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 15, 2017 at 9:20pm
बहुत ही सुन्दर और सरस गीत हुआ आदरणीय..दूसरे बन्द में बिका हुआ बाजरों में..क्या यहाँ बाजारों होना चाहिए..?
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 2:52pm

वाह बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने आदरणीय डॉ शैलेन्द्र जी | पहली बार पढ़ रही हूँ आपकी रचना इस मधुर गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय |

Comment by Samar kabeer on October 11, 2017 at 12:07pm
जनाब डॉ.शैलेंद्र सिंह'मृदु'जी आदाब,पहली बार आपकी रचना से रूबरू हुआ हूँ,बहुत सुंदर भावनात्मक गीत लिखा है,शिल्प और प्रवाह देखते ही बनता है,इस सुंदर प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें,उम्मीद है मंच पर अपनी सक्रियता बनाये रखेंगे ।
दूसरे बन्द की पहली पंक्ति में 'हुश्न' को "हुस्न"करलें ।
Comment by Mohammed Arif on October 11, 2017 at 11:57am
आदरणीय शैलेंद्र सिंह जी आदाब,देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत बहुत ही बेहतरीन गीत की प्रस्तुति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और असीम स्नेह के लिए आभार।"
13 seconds ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"परम आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं सौरभ पाण्डेय जी  इस वार्ता को यहीं समाप्त करना  उचित…"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध हो जाता है तब आवश्यक शांति संदेश जब निरर्थक हों.......सत्य कहा है आपने.   आदरणीय…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ये झगड़े फिर बढ़ेंगे ध्यान रखना सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है....वाह ! वाह ! आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शान्ति और युद्ध   कारण और अकारण कितने, युद्धों से इतिहास भरा है। वीरों के खोने का दिल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आभार आपका "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील भाई .                      …"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, जबरदस्त कहन है। हार्दिक बधाई"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ भाई , सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अजय भाई प्रदत्त विषय पर आपकी सारगर्भित नज़्म के लिए आपको हार्दिक बधाइयां "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service