For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवालों का पंछी सताता बहुत है-गीत

मुझे रात भर ये भगाता बहुत है।
सवालों का पंछी सताता बहुत है।।

कभी भूख से बिलबिलाता ये आए
कभी आँख पानी भरी ले के आए

कभी खूँ से लथपथ लुटी आबरू बन
तो आये कभी मेनका खूबरू बन

ये धड़कन को मेरी थकाता बहुत है
सवालों का पंछी सताता बहुत है।।1।।

कभी युद्ध की खुद वकालत करे ये
अचानक शहीदों की बेवा बने ये

कभी गर्भ अनचाहा कचरे में बनकर
मिले है कभी भ्रूण कन्या का बनकर

निगाहों को मेरी रुलाता बहुत है
सवालों का पंछी सताता बहुत है।।2।।

कभी कौम के नाम का फ़तवा पढ़ता
कभी तो अवध के लिए ईंट गढ़ता

न मीरा को पूछे न कबिरा को जाने
न रैदास रहिमन न रसखान माने

स्वयं को ये ज्ञाता बताता बहुत है
सवालों का पंछी सताता बहुत है।।3।।

ये हौले से सब कुछ मुझको सुनाकर
हूँ बेहद ज़रूरी यूँ मुझको बता कर

ज़रा सी पलक जो झपकना भी चाहे
तो फ़िल्मी हेरोइन सा कपड़े उतारे

ये लालच में मुझको फँसाता बहुत है
सवालों का पंछी सताता बहुत है।।4।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:11am
आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:10am
आदरणीय बाऊजी आपने सही ध्यान धराया है, सादर प्रणाम
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 16, 2017 at 7:20pm
भाई पंकज जी, बेहतरीन गीत हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
Comment by Samar kabeer on October 12, 2017 at 5:39pm
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,बहुत उम्दा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बह्र इसकी ग़ालिबन 122 122 122 122ली है आपने,कुछ मिसरे बह्र में नज़र नहीं आते उन्हें देखियेगा :-
'धड़कन को मेरी थकाता बहुत है'
'सब कुछ सुनाकर हौले से आकर'
'कानों में ख़ुद की ज़रूरत बताकर'
'लालच में मुझको फँसाता बहुत है'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service