For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तब सिवा परमेश्वर के औ'र जला है कौन-----गज़ल, पंकज मिश्र

2122 2122 2122 2122

धीरे धीरे दूर दुनिया से हुआ है कौन आख़िर
हौले हौले तेरी यादों में घुला है कौन आख़िर

आग के शोले जले जब भी हुआ उत्पात तब तब
इक सिवा परमेश्वर के औ'र जला है कौन आख़िर

ग्रन्थ लाखों और पढ़ने वाले अरबों लोग तो हैं
पर मुझे मिलता नहीं पढ़ कर जगा है कौन आख़िर

माँ पिता गुरु के चरण रज से रहा जो दूर है वो
पत्थरों के घर में प्रभु से मिल सका है कौन आख़िर

इक मधुर अहसास खश्बू से भरी है साँस 'पंकज'
धड़कनों से रागिनी बन कर मिला है कौन आख़िर


मौलिक अप्रकाशित

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:09am
आदरणीय आशुतोष सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:08am
आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:08am
आदरणीय अफ़रोज़ जी सुझाव बढ़िया है, सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:07am
आदरणीय ब्रजेश जी बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:07am
आदरणीय आरिफ़ सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:06am
आदरणीय कालीप्रसाद सर, सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 17, 2017 at 9:05am
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, आपके सुझावों के अनुरूप संशोधन शीघ्र होगा
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 16, 2017 at 7:34pm
आ. भाई पंकज जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 16, 2017 at 6:12pm
आदरणीय भाई पंकज जी ग़ज़ल आदरणीय समर सर के मशविरे से बेहद उम्दा लग रही है।।। इस शानदार शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by Afroz 'sahr' on October 16, 2017 at 3:56pm
आदरणीय पंकज जी इस रचना पर बधाई आपको।" आग के शोले जले जब भी हूआ उत्पात"
को अगर यूँ कर लिया जाए "आग के शोले उठे जब भी हूआ उत्पात" तो शायद ठीक रहेगा,,सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service