For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-क्रंदन कर उठे हैं भावना के द्वार पर-बृजेश कुमार 'ब्रज'

सभी पंक्तियों का मात्रा भार
2122 2122   2122 212 के क्रम में

गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर

वेदना में याचना के
शब्द गीले हो गए
यातना के काफिलों से
पथ सजीले हो गए
आँसुओं की बेबसी में
दर्द की मनुहार पर
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर

आदमी में आदमी सा
क्या बचा है सोचिये?
पीर क्या है मुफलिसों की?
ये कभी तो पूछिये
हो रही फाकाकशी हर
तीज पर त्यौहार पर
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर

दीप जलते हैं कहीं पर
दिल कहीं जलते रहे
पतझरों की गोद में भी
फूल थे पलते रहे
अब कली सहमी हुई है
अश्क़ से शृंगार कर
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 22, 2017 at 5:45pm
आदरणीय डा.गोपाल नारायण जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन वंदन है।पे का प्रयोग सिर्फ इसलिए की पर की पुनरावृत्ति न हो हालाँकि पर किया जा सकता है।आपका सुझाव सर्वथा उचित है..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 22, 2017 at 5:40pm
आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी रचना सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए आपको प्रणाम करता हूँ..सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 22, 2017 at 12:09pm

आ०  वृजेश  जी ,सही शब्द - फाकाकशी है . खड़ी  बोली कविता में 'पे' का प्रयोग क्यों ? ' तीज पर त्योहार् पर ' सही होता . इसी प्रकार दीप जलते हैं कहीं पर  भी सही होता . पे और पर सममात्रिक  हैं फिर पर क्यों नहीं . आपकी सम्पूर्ण कविता भावों  से जगमग है . मैं ऐसी ही कविताये  पसंद करता हूँ . आपको  बहुत बहुत बधाई . .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2017 at 10:53am

गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर | --- अति सुंदर और मार्मिक गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री ब्रिजेश कुमार 'बृज' जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 3:58pm
आदरणीय सलीम साहब आपको भी दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 3:55pm
आदरणीय डा.साहब आपका हार्दिक धन्यवाद दीप पर्व की बधाई..आदरणीय मेरे हिसाब से सही शब्द शृंगार ही है..लेकिन श्रृंगार का प्रयोग ज्यादा दिखाई देता है..ये टाइपिंग मिस्टेक है मैं इसे दूर करता हूँ..सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 3:20pm
आदरणीय बृजेश जी,
दीपोत्सव पर इस सुन्दर गीत प्रस्तुति के बधाईयाँ और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.
सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 12:47pm
आदरणीय भाई ब्रज जी बहुत ही शानदार मनभावन गीत लिखा है आपने इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई। मुझे थोडा संशय श्रृंगार की शृंगार लिखा जाता है बहुत पहले इस पर कभी चर्चा हुयी थी। मैं गलत भी ही सकता हूँ सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 9:12am
आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पड़ी से बड़ी प्रसन्नता हुई..ये कभी तो पूछिये बिलकुल किया जा सकता है..लिखते समय दोनों ही विकल्प ध्यान में थे..आपका हार्दिक धन्यवाद

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 19, 2017 at 11:54pm

इस स्तरीय प्रयास केलिए हार्दिक बधाइयां ! आप गीतों पर निरंतर अभ्यास करते हैं, आदरणीय 

शुभेच्छाएँ. 

एक बात : 

हाल क्या है मुफलिसों का?  भी कभी तो पूछिये .. इसे यों अवश्य कर सकते हैं - हाल क्या है मुफलिसों का? ये कभी तो पूछिये

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service