For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृत्यु : पूर्व और पश्चात्

मृत्यु...

जीवन का वह सत्य

जो सदियों से अटल है

शिला से कहीं अधिक।

मृत्यु पूर्व...

मनुष्य बद होता है

बदनाम होता है

बुरी लगती हैं उसकी बातें

बुरा उसका व्यवहार होता है।

मृत्यु पूर्व...

जीवन होता है

शायद जीवन

नारकीय

यातनीय

उलाहनीय

अवहेलनीय।

मृत्यु पूर्व...

मनुष्य, मनुष्य नहीं होता

हैवान होता है

हैवान, जो हैवानियत की सारी हदें

पार कर देना चाहता है।

मृत्यु पश्चात्...

विश्राम, विश्रान्ति

आनन्द, परमानन्द।

मृत्य पश्चात्...

मनुष्य की सारी भूलें

भुला दी जाती हैं

याद रहती हैं

तो सिर्फ उसकी अच्छाइयाँ

अच्छाइयाँ, जो शायद उसने          

कभी की भी नहीं थीं।

मृत्यु पश्चात्...

आजीवन रहा हैवान

बन जाता है भगवान

भगवान, क्योंकि अब वह

कुछ कर नहीं सकता

और जो कुछ कर नहीं सकता

वही तो भगवान होता है।

अन्ततः इस मृत्यु का

जाने यह कैसा सार है

पूर्व में दूसरों का जीवन

जिसने बना दिया था नारकीय

मृत्यु पश्चात् उसे भी

स्वर्गीय कहलाने का अधिकार है।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 3:16pm

हृदय से आभारी हूँ आ. बृजेश जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 6:17pm
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित रचना हुई आदरणीय..सादर
Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 10:00am

बहुत-बहुत शुक्रिया आ. सलीम रज़ा जी. हार्दिक आभार. सादर.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:59am

आ. लक्ष्मण रामानुज जी, रचना पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर धन्यवाद.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:15am

सादर आदाब आ. समर कबीर सर. कविता आपको पसन्द आयी, लिखना सार्थक रहा. बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:14am

बहुत शुक्रिया आ. सुरेन्द्र जी. सादर आभार.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:14am

हार्दिक आभार आ. आशुतोष जी. सादर धन्यवाद.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:13am

धन्यवाद आ. कल्पना जी. सादर आभार. 

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:12am

बहुत-बहुत शुक्रिया आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक आभार. सादर.

Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 9:11am

हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आ. मोहम्मद आरिफ़. जी. सादर आदाब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
15 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service