For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुख की एक लाश ...

एक अंतराल के बाद
विस्मृति भंग हुई
तो चेतना
सूनी आँखों से
उबलते लावों में
परिवर्तित हो
बह निकली
व्याकुलता के कुंड में
प्रश्नों की ज्वाला में तप्ती
असंख्य अभिलाषाओं को समेटे
जीवन के अंतिम क्षितिज पर
ज़िंदा थी
एक लाश
सुख की


छिल गए
भरे हुए
घाव सभी
जब स्मृति जल ने
अपने खारेपन से
उनपर नमक छोड़ दिया
जलती रही देर तक
मात हो चुकी बाज़ी की
अवचेतन में सोयी
एक लाश
सुख की

न जाने
कितने संकेत
प्रतीक्षा की देहरी पर
श्वासहीन देह लिए
अनंत निद्रा में लीन हो गए
कितने मधुपल
तिमिर से समझौता कर
उसी में खो गए
शेष थी तो बस
अतीत के अवगुंठन में
अवसाद को जीती
सुख की
एक लाश

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2017 at 1:03pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2017 at 10:38am
बहुत ही सुंदर सार्थक कविता हुई आदरणीय
Comment by Sushil Sarna on October 28, 2017 at 5:53pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी सृजन के भावों को अपने स्नेह से पोषित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on October 28, 2017 at 5:53pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन को अपनी आत्मीय सम्मान से सुसज्जित करने का दिल से आभार। 
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी सृजन के भावों को अपने स्नेह से पोषित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on October 28, 2017 at 5:52pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार 

Comment by Sushil Sarna on October 28, 2017 at 5:52pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , प्रस्तुति के भावों को सहमति देती आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 5:03pm

आदरणीय सुशील जी शानदार बिचारों से ओतप्रोत इस रचना के लिए ढेर सारी बधाई सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on October 25, 2017 at 1:17pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार क़ई तरहः उम्दा रचना। बधाई इस प्रस्तुति पर।सादर
Comment by Mahendra Kumar on October 25, 2017 at 8:44am

बढ़िया कविता है आ. सुशील सरना जी. शीर्षक प्रभावी है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 6:53pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर वैचारिक कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service