“तुमने ठीक से शूट किया न?”रियान ने पूछा|
“येस येस ऑफकोर्स बड्डी, पूरा शूट कर लिया" कैमरा दिखाते हुए डोडो ने कहा |
" लेकिन एक बात बता व्हाई डिड यू चूज हिम ओनली? इसे ही क्यों चुना तुमने?”डोडो ने आगे पूछा |
“ ही वाज़ एन इन्डियन यार.... क्या फर्क पड़ता है कोई अपना थोड़े ही था और मेरे इस लास्ट टास्क में यही ऑर्डर था कि विदेशी होना चाहिए पर ये शूट करना अब तो बंद कर यार अभी भी क्यूँ ऑन किया हुआ है कैमरा” रियान बोला|
ठांय ठांय ठांय...”सॉरी बड्डी मेरा भी ये अंतिम टास्क है जिसमे ऑर्डर है अपने किसी पक्के दोस्त को किल करो” क्लिक क्लिक क्लिक.कैमरा अब भी ऑन था ..
और डोडो की हथकड़ी के नीचे बनी ब्लूव्हेल सब पर हँस रही थी |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आप सही कहते हैं आद० लक्ष्मण जी, सच में संवेदनहीनता व् भावप्रदूष्ण बढ़ रहा है | पर इस गेम के पीछे दो कारण हैं अर्थात दो तरह की मानसिकता वाले बच्चे शामिल हो रहे हैं एक तो जो अकेले हैं अर्थात जिनको कोई मोरल सपोर्ट या घरवालो का प्यार नहीं मिल रहा अर्थात उन पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा .दुसरे जो चेलेंज के भूखे हैं जीवन में चेलेंज एक्सेप्ट करते हैं | दोनों ही स्थिति नाजुक हैं .माता पिता अपने में व्यस्त हैं सबके हाथों में गेजेट हैं किसी को किसी की फ़िक्र नहीं है होश तब आटा है जब बात हाथों से निकल चुकी होती है | बहुत बहुत शुक्रिया मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हेतु
जैसे जैसे डिजिटल टेकनोलोजी विकसित हो रही है, नए नए आतंक भी सामने आ रहे है | जब हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल से चित्र लेना आसान हो गया तब से सभी क्षेत्रों में सवेदन हीनता और भाव-प्रदुषण बढ़ा है | सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ. राजेश कुमारी जी
आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपकी बात सही है न जाने आज की हवा में क्या हो रहा है जो आक्सीजन नहीं कार्बनडाईआक्साइड ही बांट रही है बच्चो में .बहुत बहुत शुक्रिया अपने विचार रखने के लिए .
आद० बृजेश कुमार जी ,आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ
आद० उस्मानी जी ,आपने लघु कथा के मर्म तक पँहुचने की पूर्णतः कोशिश की है बहुत बढिया विश्लेषण किया है .आजकल जहाँ तहां इस जानलेवा ब्लू व्हेल गेम में बच्चे फँस कर अपनी या दूसरों की जान ले रहे हैं एक से एक चेलेंजफुल टास्क करवाया जाता है उनसे विदेशों से चला ये गेम भारत के हर कोने में प्रवेश कर चुका है .ये आज के प्रगतिशील वक़्त के गेजेट का सबसे विद्रूप चेहरा है बच्चों का इस तरह ब्रेनवाश किया जा रहा है की उनकी खुद की सोचने समझने की शक्ति विलुप्त होती जा रही है ,इस करेंट समस्या पर प्रकाश डालने की कोशिश की है इस लघु कथा में .बहुत बहुत शुक्रिया आपका .
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