For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अश्क़ आंखों से उतर गाल पे आया होगा

2122 1122 1122 22

गर शराफ़त में उसे सर पे बिठाया होगा ।
ज़ुल्म उसने भी बड़े शान से ढाया होगा ।।

लोग एहसान कहाँ याद रखे हैं आलिम ।
दर्द बनकर वो बहुत याद भी आया होगा ।।

हिज्र की रात के आलम का तसव्वुर है मुझे ।
आंख से अश्क़ तिरे गाल पे आया होगा ।।

मुद्दतों बाद तलक तीरगी का है आलम ।
कोई सूरज भी वो मगरिब में उगाया होगा ।।

कर गया है वो मुहब्बत में फना की बातें ।
फिर शिकारी ने कहीं जाल बिछाया होगा ।।

कत्ल करने का हुनर सीख लिया है उसने ।
तीर आंखों से कई बार चलाया. होगा ।।

ढूढ़ मन्दिर में न मस्जिद में खुदा को अब तू ।
वो यकीनन तेरे दिल मे ही समाया होगा ।।

कौन कहता है कि वादे से मुकर जाता है ।
चाँद शरमा के तेरी बज्म में आया होगा ।।

इत्तिफाकन ही नज़र मिल गयी थी जो उनसे ।
क्या खबर थी वो मेरी जान का साया होगा ।।

मेरी बरबाद मुहब्बत की निशानी लेकर ।
ख्वाब उसने भी सरेआम जलाया होगा ।।

क्या लिखूं आज सितमगर की जफ़ा का किस्सा ।
बाद मरने के मिरे जश्न मनाया होगा ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2017 at 1:29pm
बहुत सुंदर , हार्दिक बधाई ।
Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 4:55pm
जी,ऐडिट कर दें ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on November 28, 2017 at 4:41pm
आ0 कबीर सर सादर नमन ग़ज़ल को एडिट करके पोस्ट कर रहा हूँ । एडिट के उपरांत एक बार पुनः आपका अवलोकन आपेक्षित है ।
Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 11:12am
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'ज़िन्दगी का ये सफ़र कैसे बिताया होगा'
दर्द बनकर वो बहुत याद भी आया होगा'
ऊला मिसरे में सफ़र बिताया नहीं,काटा जाता है,और ज़िन्दगी बिताई जाती है,इस हिसाब से ये मिसरा दुरुस्त कीजिये ।

'अश्क आँखों से उतर गाल पे आया होगा'
किसके गाल पे?,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
'आँख से अश्क तिरे गाल पे आया होगा'
तीसरे शैर में कथ्य सही नहीं है ।
Comment by नादिर ख़ान on November 27, 2017 at 12:09pm

आदरणीय त्रिपाठी जी बहुत खूबसूरत शेर निकले है आपके तरकश के फन से..............,  मतला और तीसरा शेर शायद और वक़्त मांग रहा है .............. 

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 27, 2017 at 1:16am
आ0 मुहम्मद आरिफ साहब शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on November 26, 2017 at 6:11pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2017 at 1:19pm
आ0 कालीपद प्रसाद मण्डल साहब हार्दिक आभार
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 26, 2017 at 9:14am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी , बहुत बहुत खुबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद स्वीकार करे | बहुत उम्दा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
7 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service