For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

     

1. 

उतारिए चश्मा

पोछिये धूल

चीज़ें खुदबखुद... साफ़ हो जाएँगी ।

 

 

2.

ज़रूरी है… सफाई अभियान

शुरुआत कीजिये

दिल से ....

 

3.

गंदगी सिर्फ मुझमे ही नहीं

तुम में भी है मित्र

ज़रा अंदर तो झाँको ....

 

4.

जब ईमान गिरवी हो

ज़मीर बिक चुका हो

कौन उठायेगा बीड़ा

समाज की सफाई का ....

 

5.

साफ़ नहीं होती गंदगी

बार बार उंगली दिखाने से

कोशिश करनी पड़ती है

मिलकर... ईमानदारी से  

 

6.

आज उतार दिया मैंने

चेहरे का नकाब

अपनी बदसूरत शक्ल

अच्छी लगने लगी....

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on December 3, 2017 at 11:01am

आदरणीय लक्ष्मण साहब हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया ....

Comment by नादिर ख़ान on December 3, 2017 at 11:00am

जनाब समर साहब आपकी अमूल्य टिप्पणियों और सुझाओ का बहुत बहुत शुक्रिया अपनी पारखी नज़र से यूँ ही नवाजते रहिए .......

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2017 at 7:44pm
सुंदर
Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 2:32pm
जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,बहुत उम्दा क्षणिकाएं लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

पहली क्षणिका में 'उतरिए' को "उतारिये"कर लीजिए ।

आख़री क्षणिका में 'चेहरे का नकली नकाब'
इस पंक्ति को "चहरे का नक़ाब"कर लीजिए,क्योंकि नक़ाब असली नक़ली नहीं होते,चहरे होते हैं,देखियेगा ।
Comment by नादिर ख़ान on November 28, 2017 at 1:25pm

 जनाब शेख शहजाद साहब मूल्यवान टिप्पणी के लिए दिल से शुक्रिया .... बस प्रयोग जारी ,है सीखने का काम चल रहा है सादर ...

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 27, 2017 at 8:30pm
सच्ची सफ़ाई और आत्मावलोकन पर बढ़िया क्षणिका-सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब नादिर ख़ान साहिब।
Comment by नादिर ख़ान on November 27, 2017 at 6:26pm

 धन्यवाद आपका आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी 

Comment by नाथ सोनांचली on November 27, 2017 at 6:20pm
आद0 नादिर खान जी सादर अभिवादन, उत्तम क्षणिकाएँ सृजित की आपने,हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर
Comment by नादिर ख़ान on November 27, 2017 at 11:55am

बहुत शुक्रिया जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब ..... 

Comment by Mohammed Arif on November 26, 2017 at 8:47pm
आदरणीय नादिर खान साहब आदाब,
समसामयिक विषयों पर लिखी गई बेहतरीन क्षणिकाएँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
21 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service