For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पेड़ उखड़ते तूफानों में, दूब हँसे हर बार (सरसी छःन्द)

अंधी दौड़ आधुनिकता की, गली नगर या गाँव
ना बरगद के पेड़ दिखें अब, ना पीपल की छाँव।।

संस्कार बिना इंसान यहाँ, चलती फिरती लाश
बिना नींव का हवामहल भी, गिरते जैसे ताश।।

अर्धनग्न अब देह बनी है, फैशन की पहचान
भूल गए सब जड़ें पुरातन, पढ़े लिखे नादान।।

सूर्य उदय पूरब से होता, पर पश्चिम में अस्त
उदय अस्त का सत्य जान लो, वरना होगे त्रस्त।।

दरक रहे हैं नित्य यहाँ पर, संस्कारो के दुर्ग
भूल रहे हैं बात पुरातन, बच्चे युवा बुजुर्ग।।

जुड़ा नहीं जो मिट्टी से है, सहे कुदरती मार
पेड़ उखड़ते तूफानों में, दूब हँसे हर बार ।।

भेद मतों में है गर कोई, गलत नहीं ये बात
हुई मगर वाणी कर्कश तो, बिगड़ें सब हालात।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2017 at 7:16pm
आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। छंन्द पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई का हृदय तल से आभार। आपकी समीक्षा मिल जाने से गलती सुधारने में मुझे मदद मिलती है। आपकी प्रतिक्रिया का मुझे बेसब्री से इंतिजार रहता है।

//पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं// संस्कार क़ई मात्रा जहाँ तक मैंने पढ़ा है 5 होती है, पर चीत्कार, संस्कार जैसे शब्द पर पढ़ते समय वजन मुझे भी इसके वजन के बारे में शंशय पैदा करते हैं। पिछली बार के चित्र से काव्य में आद0 गोपाल जी और आद0 रामबली जी ने इस पर चर्चा भी की थी।
आपके सुझावनुसार परिवर्तन करता हूँ। सादर
Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 5:12pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द लिखे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहली पंक्ति में 'शहर'को "नगर"करना उचित होगा ।
पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं ,इसी छन्द के चौथे पद में 'गिरता जैसे ताश'को "गिरते जैसे ताश"होना चाहिए,क्योंकि "ताश"शब्द बहुवचन है, बावन पत्ते मिलकर ताश कहलाते हैं ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2017 at 8:26am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, छन्द पर आपकी उपस्थिति और बेह्तरीन प्रतिक्रिया से हौसला अफजाई करने के लिए हृदय तल से आभार।
Comment by Mohammed Arif on November 28, 2017 at 7:58am
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
चिंता-बेचैनी, परिवर्तन की आग, फैशन,बदलाव और प्रकृति सबकुछ समा दिया आपने इन छंदों में । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ग़ज़ल  *****  इशारा भी  किसी को कारगर है  किसी से गुफ्तगू भी  बे असर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
Friday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service