For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर कुँवारे ही मरे क्या ताज्रीबा ले जाएँगे
साथ बस मैरीज ब्योरो का पता ले जाएँगे

रोज ही मिलते रहे कपड़ो पे लम्बे बाल जो
इक न इक दिन आप तो घर से निकाले जाएँगे

बात दिल की कह न पाए वक़्त पर जो आप तो
दूसरे ही उनको फिर दुल्हन बना ले जाएँगे

करके गलती आँख से आँसू गिराना सीख लो
मार से बेगम की ये आँसू बचा ले जाएँगे

मेकअप से खा गए धोका अगर जो आप भी
फिर तो लैला की जगह मम्मी भगा ले जाएँगे

खटमलों को जाँच लो सोने से पहले नाथ जी
ये वगरना वस्ल का सारा मज़ा ले जाएँगे

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 850

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 26, 2017 at 7:36am
बहुत खूब , हार्दिक बधाई ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2017 at 5:22pm
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सुखनवाजी का बहुत बहुत आभार।
Comment by vijay nikore on November 23, 2017 at 11:42am

अच्छी गज़ल के लिए हार्दिक बधाई,आदरणीय सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2017 at 5:08am
आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर आपकी आत्मीय प्रशंसा से अभिभूत हूँ।सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2017 at 5:02am
आद0 पंकजोम " प्रेम "जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा बहुत बहुत आभार।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2017 at 10:04pm
वाह। यह भी ख़ूब रही! बढ़िया मज़ाहिया ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब।
Comment by पंकजोम " प्रेम " on November 21, 2017 at 7:17pm
वाह जनाब उम्दा ग़ज़ल हुई है ........ वाह वाह बहुत ख़ूब
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2017 at 6:04pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया का मैं बेसब्री से इंतिजार कर रहा था। क्योकि कुछ भ्रम सा बन गया था अलग अलग तक्तीअ से। आपके प्रतिक्रिया के बाद मेरे साथ साथ और जन भी सन्तुष्ट हुए होंगे, ऐसी उम्मीद करता हूँ।

आपकी बधाई और आशीष मिला, ग़ज़ल कहना सार्थक हुआ। आपका कोटिश आभार।
Comment by Samar kabeer on November 21, 2017 at 2:33pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा मज़ाहिया ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'मेकअप'212बिल्कुल सही है ।
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2017 at 1:33pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और बधाई का बहुत बहुत आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"है सियासत की ये फ़ितरत जो कहीं हादसा हो उसको जनता के नहीं सामने आने देना सदर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय पंकज जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी  बहुत बहुत शुक्रिया सज्ञान लेने के लिए कोशिश करती हूं समझने की जॉन साहब को भी…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई पंकज जी, हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. रिचा जी, हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई जयनित जी, हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, शेष अमित जी ने विस्तृत इस्लाह की है। "
8 hours ago
Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय बाग़पती जी अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे की शुरुआत के लिए साधुवाद"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service