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ग़ज़ल,,,,इशारों का साथ दो,,,,,,,

221/2121/1221/212

है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।
लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।।

गर हैं निजात के लिए दरकार नेकियाँ।
डोली उठाने वाले कहारों का साथ दो।।

बाहम वो मिल सके न जो सारी हयात में।
मजबूर बेक़रार कनारों का साथ दो।।

तुम इन उदासियों की रिदाओं को चीर कर।
दिलकश हसीन शौख़ नजारों का साथ दो।।

ये वक़्त का तकाजा़ है दानाइ भी यही।
रक्खो ज़ुबान बंद इशारों का साथ दो।।

मिट्टी के ढेर हैं ये फ़कत और कुछ नहीं।
ये किसने कह दिया के मज़ारों का साथ दो।।

हर सू ज़मीं पे फैली हैं तारीकियाँ बहुत।
जाओ फ़लक पे चाँद सितारों का साथ दो।।

फूलों से दिल्लगी है तुम्हारी भले सहर।
गर है पुकार वक़्त की ख़ारों का साथ दो।।

मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2017 at 3:50pm

भाई अफरोज जी सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on December 5, 2017 at 2:59pm

आदरणीय अफ़रोज़ साहब,

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.

सादर 

Comment by Afroz 'sahr' on December 5, 2017 at 8:39am
आदरणीय डा. पवन मिश्र जी ग़ज़ल को मान देने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार,,,,
Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:58am

आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी, बहुत खूब। बाकमाल ग़ज़ल, दिली मुबारकबाद

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 10:27pm
आदरणीय मनोज कुमार जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी पर आपका बहुत मश्कूर हूँ।
Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 9:44pm

आदरणीय अफरोज जी सादर वन्दे! बहुत ही सुंदर रचना है। मेरी कोटिशः बधाइयाॅं स्वीकार करें।

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 5:47pm
आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब ग़ज़ल को नवाज़ने, अपना की़मती वक़्त देने और हौसला अफ़जा़ई का बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। सादर,,
Comment by Samar kabeer on December 4, 2017 at 5:30pm

जनाब अफ़रोज़ 'सहर'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 2:41pm
आदरणीय आरिफ़ जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,
Comment by Mohammed Arif on December 4, 2017 at 2:37pm
है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।
लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।। वाह! वाह!! बहुत ही बेहतरीन मतला । लेकिन आजकल दर्द के मारों को और दर्द दिए जा रहे हैं । काश! उनका साथ दिया जाय ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद आदरणीय अफरोज़ सहर जी ।

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