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उसे होश में आया देख डॉक्टर का नुमाइंदा पास आया और फरमान सुनाने लगा । अपने घर बात करके  15 हज़ार रुपये काउंटर में जमा करवा दो बाकि के पैसे डिस्चार्ज के समय जमा करा देना । मगर साहब मै बीमार नहीं, बस दो दिन से भूखा हूँ। उसकी आवाज़ घुट के रह गई, नुमाइंदा जा चुका था ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by नादिर ख़ान on December 15, 2017 at 10:44am

आदरणीय विजय निकोर जी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया .. आपकी सराहनीय टिप्पणी किसी टॉनिक से कम नहीं ...

Comment by नादिर ख़ान on December 15, 2017 at 10:36am

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुमूल्य एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए धन्यवाद ..

Comment by vijay nikore on December 14, 2017 at 3:53pm

सुन्दर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय नादिर ख़ान साहिब।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2017 at 8:45pm

कम शब्दों में आज के मेडिकल सिस्टम की पोल खोल कर रख दी बेहतरीन लघु कथा आद० नादिर खान जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:09pm

हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब ... कोशिश सार्थक हुयी

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2017 at 5:02pm

आदरणीय सोमेश जी आपने रचना को जो मान दिया उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ...

Comment by Samar kabeer on December 11, 2017 at 2:21pm

जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,कम शब्दों में बहतरीन लघुकथा लिख दी आपने,वाह बहुत ख़ूब, इस प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

Comment by somesh kumar on December 10, 2017 at 3:58pm

एक साथ आप ने सबकी भूख साध ली यही इस लघुकथा की गहनता है |रचना के लिए बधाई |

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2017 at 3:06pm

जनाब शेख शहजाद साहब आपने रचना को जो मान दिया उसके लिए शुक्रिया ... भूख पर कविता लिखते लिखते  ये लघुकथा बन गई.... मार्गदर्शन का बहुत बहुत शुक्रिया  ।

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2017 at 3:02pm

हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब .....

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