For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.

शायद आज बच जाओ

साम दाम दण्ड भेद से

मगर एक कैमरा

नज़र रखे है

हर करतूत पर

बिना साम दाम दण्ड भेद के .....

 

2.

मत उलझाइये खेल

मत कीजिये घाल-मेल

सीधी है ... सीधी ही रहने दीजिये

जिंदगी की रेल

 

3.

उठ रहे हैं बच्चे

सूरज के जागने से पहले

ठिठुर रहे हैं बच्चे

पीठ में बोझ लिए

झेल रह हैं बच्चे

भविष्य का दण्ड ....

 

4

आजकल देरी से आते हो

जल्दी चले भी जाते हो .....

कहाँ ले जाते हो

हमारे हिस्से की धूप

सूरज भाई ...

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 6:27pm

जनाब नादिर साहिब ,गज़ब की छड़िकाएँ हुई हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:22am

अच्छी क्षणिकाएँ हैं आ. नादिर भाई. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नादिर ख़ान on December 26, 2017 at 6:23pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब बहुत शुक्रिया, आपने रचना को मान दिया। ....

Comment by नादिर ख़ान on December 26, 2017 at 6:22pm

आदाब जनाब समर कबीर साहब, आपकी टिप्पणियाँ हर रचनाकर के लिए प्रेरणादायी होती हैं ,बहुत शुक्रिया आपका भी। ... 

Comment by नादिर ख़ान on December 26, 2017 at 6:16pm

आदरनीय अजय तिवारी जी आपको रचना प्रभावशली लगी लेखन सर्थक हुआ दिल से आपको धन्यवाद.....

Comment by नादिर ख़ान on December 26, 2017 at 6:12pm

आदरनीय सुरेन्द्र नाथ जी आपने कोशिश  को सराहा आपका बहुत शुक्रिया ......

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2017 at 4:44pm

बहुत खूब , हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on December 26, 2017 at 2:03pm

जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,बहुत उम्दा,कमाल की क्षणिकाएं लिखी हैं आपने,इस बहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।कि

Comment by Ajay Tiwari on December 26, 2017 at 1:21pm

उठ रहे हैं बच्चे

सूरज के जागने से पहले

ठिठुर रहे हैं बच्चे

पीठ में बोझ लिए

झेल रह हैं बच्चे

भविष्य का दण्ड ....

आदरणीय नादिर खान जी, इस प्रभावशाली काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 9:46am

शायद आज बच जाओ

साम दाम दण्ड भेद से

मगर एक कैमरा

नज़र रखे है

हर करतूत पर

बिना साम दाम दण्ड भेद के .....

क्या खूब कही आपने जनाब,बेहद खूबसूरत। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service