For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विधाता छंद-रामबली गुप्ता

न किंचित स्वार्थ हो हिय औ', भुला कर वैर जो सारे।
अमीरी औ' गरीबी के, मिटा कर भेद सब प्यारे!
करें सहयोग हर जन का, सभी के काम जो आते।
सदा वे श्रेष्ठ जन जग में, सुयश-सम्मान हैं पाते।।1।।

धरे हिय धैर्य औ' साहस, निरन्तर यत्न जो करते।
न किंचित राह की बाधा, न मुश्किल से किन्हीं डरते।
सहें हर यातना पथ की, शिखर पर किन्तु चढ़ते हैं।
वही प्रतिमान नव बन कर, अमिट इतिहास गढ़ते हैं।।2।।

सदा सुरभित सुमन बन कर, दिलों में जो यहाँ खिलते।
भुला कर भेद जो सारे, सभी से प्यार से मिलते।।
दिया सौहार्द का बन कर, घना तम द्वेष का हरते।
जगत में पूज्य वे नर जो, मनुजता के लिए मरते।।3।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

रचना-रामबली गुप्ता

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 14, 2018 at 9:40am

सुन्दर छन्द लिखे हैं. बधाई। आपकी आँखों की तकलीफ के बारे में सुन कर दुख हुआ... आशा है कि आप शीघ्र अच्छे हो जाएँगे।

Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2018 at 2:22am

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2018 at 2:22am

समर भाई साहब सादर प्रणाम। आजकल कुछ अस्वस्थ हूँ और आँखों में भी तकलीफ है इसलिए समय से प्रतिक्रिया न दे सका। आपकी सराहना एवं प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार।

इस छंद में -1222 1222 , 1222 1222 के वह्र में लिखा जाता है। प्रत्येक पद यही वह्र रहेगा किन्तु 14 मात्रा के बाद यति होनी चाहिए। प्रत्येक छंद में कुल चार पद होते हैं।

Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2018 at 2:13am

आद0 आरिफ़ जी देर से प्रतिक्रिया देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। दरअसल आँखों में थोड़ी दिक्कत होने की वजह से मोबाइल देखना नही हो पा रहा। इसलिए समय से प्रतिक्रिया नही दे पाया। अभी भी कुछ दिक्कत है ही। प्रयास पर आपकी प्रशंसा एवं प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2018 at 7:57pm

आ. भाई रामबली जी, सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on February 1, 2018 at 5:56pm

जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

छन्द विधान लिख देते तो कुछ कहने में आसानी होती ।

Comment by Mohammed Arif on February 1, 2018 at 7:59am

आदरणीय रामबली गुप्ता जी आदाब,

                              सबके कल्याण और अच्छी मनोकामना से युक्त बेहतरीन विधाता छंद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । काश! छांदसिक विधान भी लिख दिया होता ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service