For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212

डूबा मिला है आज वो गहरे खयाल में ।

मिलता कहाँ सुकून है उलझे सवाल में ।।

बरबादियों का जश्न मनाते रहे वो खूब ।

फंसते गए जो लोग मुहब्बत के जाल में ।।

आनी थी हिज्र आ गयी शिकवा खुदा से क्या ।

रहते मियां हैं आप भी अब क्यों मलाल में ।।

करता है ऐश कोई बड़े धूम धाम से ।

डाका पड़ा है आज यहां फिर रिसाल में ।।

शेयर गिरा धड़ाम से सदमा लगा बहुत।

जिसने लिया था माल को बढ़ते उछाल में ।।

पोंछा था अश्क़ आप का उस दिन के बाद से ।

खुशबू बची है आपकी मेरी रुमाल में ।।

अक्सर वो मेरी जान के पीछे पड़ा है क्यूँ।

रहता जो एक तिल मेरी जानम के गाल में ।।

अक्सर वो मेरी जान के पीछे पड़ा है क्यूँ।

रहता जो एक तिल मेरी जानम के गाल में ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

Views: 363

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 26, 2018 at 8:07pm

आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 26, 2018 at 11:35am

आ0 श्याम नारायण जी सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 26, 2018 at 11:34am

आ0 कबीर सर विशेष आभार के साथ नमन 

Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 6:28pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का सानी मिसरा यूँ कर लें मफ़हूम साफ़ हो जायेगा :-

'जिसको सुकून मिलता था उलझे सवाल में'

'आनी थी हिज्र आ गई शिकवा ख़ुदा से क्या'

इस मिसरे में 'हिज्र' शब्द पुल्लिंग है, और ये आता नहीं मिलता है,इस मिसरे को यूँ कर लें :-

"मिलना था हिज्र मिल गया शिकवा ख़ुदा से क्या'

"पोछा था अश्क आपका उस दिन के बाद से

खुशबु बची है आपकी मेरी रुमाल में'

इस शैर को यूँ कर लें :-

'पोंछे थे अश्क आपके उस दिन के बाद से

ख़ुश्बू बसी है आपकी मेरे रुमाल में'

7वेब शैर में 'गाल में' सही नहीं 'गाल पर' होता है ।

Comment by Shyam Narain Verma on February 24, 2018 at 8:34pm
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service