For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता-- लाजमी है अब मरना

हमें अब मरना होगा
अपने आदर्शों के साथ
गला घोंटना होगा
अपने ही सिद्धांतों का
सूली पर चढ़ाना होगा मान्यताओं को
इन सबका औचित्य समाप्त - सा हो गया है
सच की अँतड़ियाँ निकल आई है
काल के दर्पण पर कुछ भद्दे चेहरें
मुँह चिढ़ा रहे है खोखले मानव को
दिन सारे दहशत में झुलसते रहते हैं
दोपहर को लू लग गई है
कँपकँपी-सी लगी रहती है शाम को
रातें आतंकी के विस्फोट -सी लगती है
हमें अब मरना होगा अपने आंदोलनों के साथ
भूख हड़ताल और आमरण अनशन के साथ
क्योंकि -
सरकार ने ज्ञापन लेना बंद कर दिया है
वह ज्ञापन लेने के नए टेण्डर जारी करेगी
जनप्रतिनिधि सारे सो रहे हैं
ख़ामोश ! अगर उनको जगाया तो
देश में अभी नारी उत्पीड़न
दुष्कर्म और बलात्कार का उत्सव चल रहा है
लूट , हत्या , डकैती , किसानों की आत्महत्या
भूख , ग़रीबी दिखाते-दिखाते
मीडिया की भी अब साँसें फुलने लगी है
ऐसे में लाजमी है हम सबका मरना ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2018 at 10:20am

आ. भाई आरिफ जी, बेहतरीन प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on February 25, 2018 at 10:43pm

दाद-ओ तहसीन और उत्साहजन टिप्पणी का बहुत-बहुत आभार आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया । 

Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 10:12pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,बहुत उम्दा और शानदार कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on February 25, 2018 at 2:51pm

बेहद सटीक और सारगर्भित , उत्सासजनक टिप्पणी के लिए दिल की अथाह गहराइयों से आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी । लेखन सार्थक हो गया ।

                 इस पर एक अच्छी लघुकथा भी लिखी जा सकती है , आपके इस अमूल्य सुझाव पर ज़रूर विचार करूँगा ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 25, 2018 at 1:49pm

बेहद कटाक्षपूर्ण तीखी और यथार्थपूर्ण विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। कमाल कर दिया है। इसे आप बेहतरीन लघुकथा का रूप भी दे सकते हैं प्रतीकात्मक/ विवरणात्मक शैली में!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service