For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल "कहता हूँ अब ग़ज़ल मैं उसे सोचते हुए"

  

221 2121 1221 212

इंसानियत के तंग सभी दायरे हुए।
दिखते नहीं हैं लोग जमीं से जुड़े हुए।।

जो सुर्खियों में रहते हमेशा बने हुए।
रहते है लोग वो ही ज़ियादा डरे हुए।।

आहट हुई जरा सी बुरे वक़्त की तभी।
कुछ साँप आस्तीन से निकले छुपे हुए।।

वो इस लिये खड़ा है बुलन्दी पे आज भी।
डरता नहीं है झूठ कोई बोलते हुए।।

ख्वाबों में देखता हूँ जिसे रोज रात में।
कहता हूँ अब ग़ज़ल मैं उसे सोचते हुए।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1075

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on March 23, 2018 at 9:54pm

आदरणीय नीलेश भाई जी और अजय तिवारी भाई जी सादर नमन । यह तो स्पष्ट है कि  हुस्ने मतला में ईता दोष है। पर ईता दोष में कुछ छूट भी है। 

देखिये 

जैसे 

व्याकरण भेद - मतला में यदि दोनों काफ़िया यौगिक शब्द है तथा हर्फ़े रवी अलग लग हैं परन्तु दोनों काफ़िया के शब्द में व्याकरण भेद है तो छूट के अनुसार मतला दोषमुक्त हो जाता है
उदाहरण -
रस्मे दीवानगी ए शौक *निभा* दी जाए
रोशनी हो के धुँआ आग *लगा* दी जाए
निभा / लगा दोनों काफ़िया का बढ़ा हुआ अंश भी एक है और
निभ लग *मूल* शब्द में हर्फ़े रवी अलग अलग हैं इसलिए इसमें ईता - ए - जली दोष है परन्तु *निभ भाववाचक* शब्द है और *लग क्रिया शब्द* है इसलिए छूट अनुसार मतला दोषमुक्त हो जाता है

अन्य उदाहारण देखें -

इक चुभन काँटों सी फूलों सी *हंसी* देता है कौन
ये जो इंसान है इसे गम और *खुशी* देता है कौन - राजेश रेड्डी

हँसी / खुशी = *हँस ( क्रिया )*
/ खुश *( भाव )*

दोस्ती / हंसी *( भाववाचक / क्रिया )*

केवल पूछ रहा हूँ जानकारी के लिये अन्यथा न लिया जाए।

क्या इस नजरिए से हुस्ने मतला सही है या नही आप या अन्य गुणीजन बताये जी। सादर जी।

Comment by Samar kabeer on March 23, 2018 at 10:28am

अजय जी से सहमत ।

Comment by Ajay Tiwari on March 23, 2018 at 9:33am

आदरणीय निलेश जी,  हुस्ने-मतला को हर लिहाज़ से मतले की ही तरह बरता जाता है. इसे दोष ही माना जायेगा. सादर  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 23, 2018 at 8:11am

आ. सुरिंदर भाई 
पिछली   टिप्पणी में एक बात   ध्यान नहीं आयी थी  अब ध्यान आयी है ..
मतला तो ठीक है लेकिन हुस्न-ए-मतला में ईता दोष   है ..
बने और डरे दोनों बन और डर के योजित रूप और सार्थक शब्द हैं जिन में काफिया नहीं है ..
मैं स्वयं वरिष्ठ जनों से यह सीखने में उत्सुक हूँ कि क्या हुस्न-ए-मतला में होने के चलते इसे दोष माना जाय या  नहीं माना   जाय 
सादर 

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 9:00pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्रा जी।

सादर नमन जी।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:58pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय सोमेश कुमार जी। सादर नमन जी।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:55pm

आदरणीय अजय तिवारी साहब सादर नमन जी। बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफजाई के लिए।

आभार जी।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:36pm

आदरणीय ब्रजेश कुमार ब्रज जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए।

सादर नमन जी।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:35pm

आदरणीय लक्षमण धामी जी बहुत बहुत शुक्रिया जी। सादर नमन।

Comment by surender insan on March 20, 2018 at 8:34pm

    

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर नमन । बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service