221 2121 1221 212
इंसानियत के तंग सभी दायरे हुए।
दिखते नहीं हैं लोग जमीं से जुड़े हुए।।
जो सुर्खियों में रहते हमेशा बने हुए।
रहते है लोग वो ही ज़ियादा डरे हुए।।
आहट हुई जरा सी बुरे वक़्त की तभी।
कुछ साँप आस्तीन से निकले छुपे हुए।।
वो इस लिये खड़ा है बुलन्दी पे आज भी।
डरता नहीं है झूठ कोई बोलते हुए।।
ख्वाबों में देखता हूँ जिसे रोज रात में।
कहता हूँ अब ग़ज़ल मैं उसे सोचते हुए।।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय नीलेश भाई जी और अजय तिवारी भाई जी सादर नमन । यह तो स्पष्ट है कि हुस्ने मतला में ईता दोष है। पर ईता दोष में कुछ छूट भी है।
देखिये
जैसे
व्याकरण भेद - मतला में यदि दोनों काफ़िया यौगिक शब्द है तथा हर्फ़े रवी अलग लग हैं परन्तु दोनों काफ़िया के शब्द में व्याकरण भेद है तो छूट के अनुसार मतला दोषमुक्त हो जाता है
उदाहरण -
रस्मे दीवानगी ए शौक *निभा* दी जाए
रोशनी हो के धुँआ आग *लगा* दी जाए
निभा / लगा दोनों काफ़िया का बढ़ा हुआ अंश भी एक है और
निभ लग *मूल* शब्द में हर्फ़े रवी अलग अलग हैं इसलिए इसमें ईता - ए - जली दोष है परन्तु *निभ भाववाचक* शब्द है और *लग क्रिया शब्द* है इसलिए छूट अनुसार मतला दोषमुक्त हो जाता है
अन्य उदाहारण देखें -
इक चुभन काँटों सी फूलों सी *हंसी* देता है कौन
ये जो इंसान है इसे गम और *खुशी* देता है कौन - राजेश रेड्डी
हँसी / खुशी = *हँस ( क्रिया )*
/ खुश *( भाव )*
दोस्ती / हंसी *( भाववाचक / क्रिया )*
केवल पूछ रहा हूँ जानकारी के लिये अन्यथा न लिया जाए।
क्या इस नजरिए से हुस्ने मतला सही है या नही आप या अन्य गुणीजन बताये जी। सादर जी।
अजय जी से सहमत ।
आदरणीय निलेश जी, हुस्ने-मतला को हर लिहाज़ से मतले की ही तरह बरता जाता है. इसे दोष ही माना जायेगा. सादर
आ. सुरिंदर भाई
पिछली टिप्पणी में एक बात ध्यान नहीं आयी थी अब ध्यान आयी है ..
मतला तो ठीक है लेकिन हुस्न-ए-मतला में ईता दोष है ..
बने और डरे दोनों बन और डर के योजित रूप और सार्थक शब्द हैं जिन में काफिया नहीं है ..
मैं स्वयं वरिष्ठ जनों से यह सीखने में उत्सुक हूँ कि क्या हुस्न-ए-मतला में होने के चलते इसे दोष माना जाय या नहीं माना जाय
सादर
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्रा जी।
सादर नमन जी।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय सोमेश कुमार जी। सादर नमन जी।
आदरणीय अजय तिवारी साहब सादर नमन जी। बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफजाई के लिए।
आभार जी।
आदरणीय ब्रजेश कुमार ब्रज जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए।
सादर नमन जी।
आदरणीय लक्षमण धामी जी बहुत बहुत शुक्रिया जी। सादर नमन।
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर नमन । बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
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