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ग़ज़ल "एक दिन मिल जायेगा सब ख़ाक में"

*२१२२ २१२२ २१२*

हर जगह रहता है अपनी धाक में।
ख़ासियत देखी ये उस चालाक में।।

चीज कोई मुफ़्त में कैसे मिले।
लोग रहते आजकल इस ताक में।।

आदमी करता गुमाँ किस बात का।
एक दिन मिल जायेगा सब ख़ाक में।।

ख़ुद-ब-ख़ुद सम्मान मिलता आजकल।
आप हो जब कीमती पोशाक में।।

जब न मोबाइल किसी के पास था।
लोग लिखते हाल अपना डाक में।।

डर हमेशा उस ख़ुदा से ही लगे।
मैं नहीं रहता किसी की धाक में।।

बस यही ख्वाहिश रही "इंसान" की।
वो बिखर जाए वतन की ख़ाक में।।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 11, 2018 at 9:36pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई, बधाई 

Comment by surender insan on April 11, 2018 at 9:26pm

आदरणीय अजय तिवारी साहब सादर नमन जी। इस बेहद सार्थक टिप्पणी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया जी। ओस पर विचार करूँगा जी।

Comment by surender insan on April 11, 2018 at 9:21pm

   

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर नमन जी।  बहुत बहुत शुक्रिया और आभार जी। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 1, 2018 at 4:41pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 30, 2018 at 2:29pm

बढ़िया रचना के लिए ह्रदय से बधाई आदरणीय सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 29, 2018 at 8:45pm

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय..

Comment by Ajay Tiwari on March 29, 2018 at 5:34pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है.हार्दिक बधाई.

जैसे गैर जरूरी शब्द शेर को कमजोर करते है वैसे ही गैर जरूरी शेर ग़ज़ल को कमजोर करते है. पांचवे शेर पर इस नज़रिए से सोचियेगा. काफिये के बारे में आदरणीय समर साहब कह चुके हैं.

सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2018 at 11:05am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी। बेहतरीन गज़ल।

बस यही ख्वाहिश रही "इंसान" की।
वो बिखर जाए वतन की ख़ाक में।।

Comment by surender insan on March 29, 2018 at 9:46am

जी सुरेन्द्र भाई आदरणीय समर साहब की टिप्पणी का तो इंतजार रहता है । उसे अपनी तरफ से दरुस्त किया है।ग़ज़ल को पसंद करने और हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on March 29, 2018 at 8:27am

आद0 सुरेन्दर इंसान जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर बधाई कुबूल करें।

आली जनाब आद0 समर साहब की बातों को संज्ञान लीजियेगा। सादर

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