1-
वर दे माता शारदे , रचूँ प्रीति के छंद l
हो समष्टि की साधना , बढ़े ह्रदय आनंद ll
बढ़े ह्रदय आनंद , लेखनी चलती जाए l
लिखूँ सदा ही सत्य , झूठ से दिल घबराए ll
'अना' बहुत नादान, शारदे जग की ज्ञाता l
सिर पर रख दे हाथ, आज तू वरदे माता ।।
2-
सत्कर्मों का फल मिला , पाया मानव रूप l
जीवन पथ पर रख कदम ,देख न छाया धूप ll
देख न छाया धूप , मैल मत मन में रखना l
करना सबसे प्रेम , स्वाद जीवन का चखना ll
जीवन की यह रीति , सार है सब धर्मों का l
करना ऐसे कर्म , मिले फल सत्कर्मों का ll
- अनामिका सिंह 'अना'
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीय नवीन मणि जी , सादर प्रणाम..कुंडलिया शब्द या शब्द समूह से ही समाप्त होती इतनी ही जानकारी है मुझे..Obo के छंद समूह में सारी जानकारी विस्तार से दी गई है । उससे कुछ कम ही ज्ञान है मुझको , सादर ।
एक शंका है अगर आप को जानकारी हो तो अवश्य बताएं । क्या कुंडलियों में जिस शब्द या शब्द समूह से प्रारम्भ करते हैं उसी शब्द या शब्द समूह से अंत करना अनिवार्य है । यह इससे हटकर भी कुंडलियां लिखी जा सकती हैं ।
आदरणीय विजय निकोर जी , छंद आपको पसंद आया..लेखन कर्म सफल हुआ , मेरा प्रयास अवश्य रहेगा नवीन रचनाओं के लेखन हेतु ..सादर !
आदरणीया प्रतिभा जी ,प्रस्तुत कुंडलिया छंद को सराहने हेतु आपका हार्दिक आभार ,सादर !
बहुत ही खूबसूरत छंद.. आनन्द आ गया। आशा है आप और लिख कर कृतार्थ करेंगी।
जीवन की यह रीति , सार है सब धर्मों का l
करना ऐसे कर्म , मिले फल सत्कर्मों का ll// सत्य वचन
बहुत सुगढ़ प्रभावशाली कुण्डलिया छंद ....हार्दिक बधाई आदरणीया अनामिका जी
मोहतरमा अनामिका सिंह 'अना'जी आदाब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,बहुत उम्दा कुण्डलिया छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सुशील सरना जी , सादर प्रणाम ,
प्रस्तुत कुंडलिया छंद पर सराहना व प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका l
वाह आदरणीया अनामिका जी बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कुंडलिया की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी , सादर प्रणाम l
ओ बी ओ साहित्यिक परिवार में स्वागत व प्रथम प्रविष्टि पर प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका
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