For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा-संजीदा

एक समय था जब आनंदी लाल जी घंटों अख़बार पढ़ा करते थे । उम्र बढ़ने के साथ-साथ नेत्र ज्योति ने साथ छोड़ दिया । उन्हें अब अक्षर दिखाई नहीं देते । पोता चिण्टू सुबह की ताज़ा ख़बरें और अनमोल विचार रोज़ पढ़कर सुनाता है । वह दादा जी का सच्चा समाचार वाचक है । आज सुबह के सारे समाचार सुन लेने के बाद दादा जी बोले-" बेटा चिण्टू कोई अच्छा-सा अनमोल वचन सुनाओ ।" कुछ देर अख़बार के पन्ने पलटने के बाद चिण्टू बोला -" दादा जी ,व्हिक्टर ह्यूगो का बहुत बढ़िया विचार आया है वो सुनाता हूँ । सुनो ,"बुद्धिमान व्यक्ति बूढ़ा नहीं होता वह तो उम्र बढ़ने के साथ संजीदा होता जाता है ।"
" बहुत बढ़िया अनमोल वचन है ।"
" मगर मेरी समझ में कुछ नहीं आया दादा जी ।"
" कुछ नहीं चिण्टू बेटा , मेरी उम्र में आते-आते तू सब समझ जाएगा जब तुझे सुबह सात बजे की चाय दस बजे मिलेगी और तू चुपचाप बैठा-बैठा इंतज़ार करेगा जैसे मैं कर रहा हूँ ।"
दादा जी ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 21, 2018 at 9:08am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय सोमेश जी ।

Comment by somesh kumar on March 20, 2018 at 11:15pm

समझदारी bhri snjida rchna.

Comment by Mohammed Arif on March 20, 2018 at 10:03pm

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 20, 2018 at 7:44pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी  सादर अभिवादन। बढिया कटाक्ष लिए उम्दा लघुकथा। अंत बहुत बेहतरीन। बहुत बहुत बधाई आपको इस प्रस्तुति पर सादर

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2018 at 10:18pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय नीलेश जी ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 19, 2018 at 9:11pm

बहुत अच्छे..वाह वाह 

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2018 at 9:00pm

दिली आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2018 at 7:35pm

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब ,बहुत ही उम्दा लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2018 at 12:25pm

रचना के अनुमोदन और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by vijay nikore on March 19, 2018 at 12:02pm

आपकी अच्छी लघु कथा से जो उमीद होती है, वह हमेशा ही पूरी होती है, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service