कविता कोरी कल्पना, कविता मन का रूप
कविता को कवि ले गया, जहाँ न पहुँचे धूप।१।
किसी फूल की पंखुड़ी, किसी कली का गाल
कविता रंगत प्यार की, नहीं शब्द का जाल।२।
आँचल में रचती रही, सुख दुख कविता रोज
पड़ी जरूरत जब कभी, भरती सब में ओज।२।
भूखों की ले भूख जब, दुखियों की ले पीर
कविता सबकी तब भरे, आँखों में बस नीर।४।
युगयुग से भाये नहीं, कविता को अनुबंध
हवा सरीखी ये बहे, लिए अनौखी गंध।५।
कविता सुख की थाल तो, है दुख का संसार
इस को पढ़ मानव गहे, संयम का आधार।६।
कविता से रोटी मिले, कविता से सम्मान
इसीलिए तो कवि करे, कविता का गुणगान।७।
जनमन में बस हो गयी, कविता जब साकार
कवि को भी तब मिल गया, एक नया संसार।८।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आ. भाई आरिफ जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
आ. भाई सुरेंद्र जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति , स्नेह और प्रशंसा के लिए आभार ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,
कविता दिवस पर एक से बढ़कर एक दोहों की सैग़ात पेश की है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। कविता दिवस पर बेहतरीन दोहे हुए हैं, बधाई आपको
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, कविता दिवस पर बहुत उम्दा दोहे हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आ. कल्पना बहन , प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
बहुत सुंदर दोहे| हार्दिक बधाई आदरणीय|
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब ,कविता दिवस पर सुन्दर दोहे हुए हैं ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमाएं।
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