For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेचैनी बढ़ रही धरा की,  

पशु-पक्षी बेहाल

सूरज बाबा सजा रहे हैं,

अंगारों का थाल

 

दिखते नहीं आजकल हमको,

बरगद, पीपल, नीम

आँगन छोड़, घरों में बालक,

देखें छोटा भीम

 

आये बौने पेड़ विदेशी,

फैलाने जंजाल  

 

सूख गया पानी नदियों का,

फुल हैं स्विमिंग पूल

नहरें पूछ रही बांधों से,

गए हमें क्यों भूल

 

पाट दिए दाऊ-दादा ने,

नदिया, पोखर, ताल

''मौलिक एवं अप्रकाशित''

 

टुकुर-टुकुर देखे गौरैया,

कहीं न दिखती छाँव

छानी तरस रही कब से,

सुनने कागा की काँव

 

मुश्किल से ही दिख पाते अब,

गाय और गोपाल

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 5:51pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 5:51pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2018 at 5:03pm

वाह आदरणीय शर्मा जी बेहतरीन गीत हुआ..बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 4, 2018 at 1:11pm

आ. भाई बसंत जी , सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 12:39pm

आपकी बारीक़ नजर को सलाम , कर दिया सर जी 

Comment by Samar kabeer on April 4, 2018 at 11:15am

टाइटल में 'थल' को "थाल" कर लें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 4, 2018 at 11:08am

आदरणीय vijay nikore जी, आपको रचना पसंद आई,  आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by vijay nikore on April 4, 2018 at 9:30am

रचना अच्छी लगी। बधाई।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 2, 2018 at 4:44pm

आदरणीय समर कबीर जी आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से  शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on April 2, 2018 at 12:29pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
13 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
20 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service