"इन भूखों को कैसे सबक़ सिखाना है, मुझसे पूछो!" आधुनिक नव-यौवना ने पास ही खड़ी किशोर उम्र भतीजी की अत्याधुनिक कसी हुई पोशाक उसके शरीर पर किसी तरह समायोजित करते हुए कहा।
"इन पर ध्यान दिए बिना, है न!"
"हां, इन्हें दूर से ही अपनी आंखें सेंकने दो! कुछ गड़बड़ करें या छुएं, तभी अपने नुस्ख़े आजमाना है, समझीं! नीयत तो अधिकतर की वही होती है!" भतीजी की बात पर समझाते हुए युवती ने कहा - "नये ज़माने के साथ चलो और इसी ज़माने की ढालें साथ लेकर चलो! तन को पूरा ढंकलो या मनचाहा उघाड़ो , मर्द अपनी जात और औकात नहीं छोड़ता!"
"पापा ने इसीलिए तो हमें जुडो-कराटे भी सिखाया है!" भतीजी उचकती हुई चारों तरफ़ घूम कर इतरा कर बोली - "आप तो इसके अलावा दो-तीन तरह की पाउडर-पुड़िया और नक़ाब वग़ैरह भी हमेशा पास में रखती हो न!"
"... और क्या! अधिकतर जगहों पर संस्कार और संस्कृति की शील्डिंग अब काम नहीं करती! सब कुछ बदल गया है खुलेपन से!"
"फिर भी तो कितने किस्म से रेप हो रहे हैं!" समाचारों पर भौंचक्की सी भतीजी की बात पर अब वह युवती निरुत्तर थी!
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
अपने विचार साझा करने, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब विजय निकोरे साहिब, आदरणीया कल्पना भट्ट जी और आदरणीया नीलम उपाध्याय जी
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आज के हालात पर बहतरीन लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आज की स्थिति को बहुत ही अच्छा उकेरा है आपने इस लघु कथा में। हार्दिक बधाई, भाई शेख शहज़ाद उस्मानी जी।
आदरणीय उसमानी जी, नमस्कार । अच्छी लघु कथा की प्रस्तुति पर बधाई ।
हार्दिक बधाई इस लघुकथा के लिए|
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,
बेटियों के ऊपर होते लगातार यौन हमलों, संस्कृति और संस्कार के प्रति उग्र होते नज़रिये , बदलाव की आग को दर्शाती बेहतरीन लघुकथा । संवादों भी आक्रोश भरे और बदलाव और बदले की भावना से ओतप्रोत । होना भी चाहिए । जिस तरह हमारा देश बेटियों के दुष्कर्म के संक्रमण-काल से गुज़र रहा है उसका सीधा-सीधा प्रभाव क़लम से उभरकर बाहर आ रहा है । हार्दक बधाई स्वीकार करें इस सामयिक लघुकथा के लिए ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online