२१२२/२१२२/२१२२/२१२
.
जो किताबों ने दिया वो फ़लसफ़ा अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
फिर लिपटकर रो सकूँ मैं ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
हक़ बयानी का सभी को हौसला होता नहीं
संग हैं बेताब फिर भी आईना अपनी जगह.
.
छोड़ कर मुझ को तेरा क्या हाल है यह तो बता
तेरे पीछे हश्र मेरा जो हुआ अपनी जगह.
.
ये वो मंजिल तो नहीं है आज पहुँचे हैं जहाँ
गो तुम्हारे साथ चलने का मज़ा अपनी जगह.
.
हम ने भी देखा है अपने दिल की बातें मान कर
है अमल अपनी जगह और मश्विरा अपनी जगह.
.
कामयाबी चाहिए तो सीख ले तू ये हुनर
रख ज़ुबां शीरीं हमेशा रख अना अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
दौलत-ए-दुनिया अलग है कुल जमा अपनी जगह.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित
Comment
शुक्रिया आप हज़रात का ,
स्नेह बनाए रखिये
आभार
भई वाह, बहुत अच्छी तरमीम हो गई , मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें ।
बहुत ख़ूब जनाब बहतर तरमीम,बधाई आपको ।
आ. समर सर, तस्दीक अहमद साहब,
तीन मिसरे बदले हैं.. देखिएगा
.
फ़लसफ़ा जो कुछ किताबों ने दिया अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
जम’अ जो कुछ भी किया जैसे किया, अपनी जगह
.
सादर
धन्यवाद आ. तस्दीक अहमद साहब,
आख़िरी शेर के काफ़िये पर विचार करता हूँ..
तुम और वह पर भी सोचता हूँ
सादर
धन्यवाद आ. समर सर,
आपसे चर्चा के बाद मैंने मिसरा बदल भी दिया था लेकिन ये भूल गया कि रास्ता भी हे पर खत्म होता है.. अभी अलीबाग पहुँचा हूँ.. जल्दी ही कुछ सोचकर तरमीम करता हूँ
दूसरे शेर का सानी यूँ कर रहा हूँ ..
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह
.
जमा का भी कुछ करता हूँ ..
बस यही बात बार बार प्रेरित करती है कि OBO पर आया जाय, लगातार सीखा जाय
सादर
धन्यवाद आ. डॉ आशुतोष जी
धन्यवाद आदरणीया नीलम जी
धन्यवाद आ. हर्ष जी
धन्यवाद आ. बसंत जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online