For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोहब्बत ...

गलत है कि 
हो जाता है 
सब कुछ फ़ना 
जब ज़िस्म 
ख़ाक नशीं 
हो जाता है 
रूहों के शहर में 
नग़्मगी आरज़ूओं की 
बिखरी होती 
ज़िस्म सोता है मगर 
उल्फ़त में बैचैन 
रूह कहाँ सोती है

मेरे नदीम 
न मैं वहम हूँ 
न तुम वहम हो 
बावज़ूद 
ज़िस्मानी हस्ती के 
खाकनशीं होने पर भी 
वुज़ूद रूह का 
क़ायनात के 
ज़र्रे-ज़र्रे में 
ज़िंदा रहता है
तिश्नगी ज़िन्दा रहती है 
दिल आरज़ू का 
धड़कता रहता है

ज़िंदगी तो 
उन्स का नाम है 
बे-जिस्म होने के बाद भी 
रूहों में 
इश्क का अलाव 
फ़िज़ाओं की धड़कनों में 
ज़िंदा रहता है

लम्हे मोहब्बत के 
इतनी आसानी से 
फ़ना नहीं होते 
वस्ल के लम्हों में 
कुछ भी दरमियाँ नहीं होता 
तू और मैं का फ़र्क 
मिट जाता है 
शर्म-ओ-हया का हिज़ाब 
हट जाता है 
साये ज़िस्म बन जाते हैं 
हकीकत को गुनगुनाते हैं 
रूह से 
जिस्म का मुलम्मा हट जाता है 
हिज़्र का 
डर नहीं होता 
यकीं के बाम पे 
बस इक पाक गौहर सी 
ज़िंदगी होती है 
आसमानों की 
चादर ओढ़कर 
मोहब्बत 
चैन की नींद सोती है
ये हुस्न-ओ-इश्क की हिकायतें 
ज़िंदा रहेंगी 
हमारे बाद भी 
अनफास की कबाओं में रक्स करेंगी 
गर्म साँसों में लिपटी 
साअतें

नदीम =मित्र,सखा ,गोहर=मोती ,उन्स =मोहब्बत ,हिकायतें =कथाएं , अनफास= सांसें ,साअतें =क्षण,पल

सुशील सरना

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2018 at 12:44pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2018 at 12:44pm

आदरणीय नीलम उपाध्याय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2018 at 12:43pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी प्रस्तुति को अपना स्नेह देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2018 at 12:43pm

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब, सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2018 at 12:43pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सृजन को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on April 28, 2018 at 10:29pm

जनाब सुशील सरना साहिब आदाब, अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 27, 2018 at 3:44pm

आदरणीय सुशिल सरना जी, अच्छी अतुकांत कविता।  बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on April 26, 2018 at 4:10pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 26, 2018 at 2:07pm

शीर्षक तहत बेहतरीन सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।‌‌‌‌ कठिन शब्दार्थ हेतु सादर धन्यवाद।

Comment by narendrasinh chauhan on April 26, 2018 at 10:12am
बहोत खुब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service