For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मत अभिमान करो ...

मत अभिमान करो ...
समय पक्षधर बना आज,
उसका सम्मान करो ...

कल साँसों की संचित पूँजी चुकने वाली है ...
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...
स्नेह मिला तुमको जितना भी, अब प्रतिदान करो ...
मत अभिमान करो ...

बीत चुके दिन कच्चे - पक्के, अब उनको छोड़ो ...
नयी दिशा को, नयी डगर को जीवन रथ मोड़ो ...
नए स्वप्न लेकर सुख - रजनी का आव्हान करो ...
मत अभिमान करो ...

मन की गाड़ी सदा तुम्हारी मर्ज़ी से चलती है,
लेकिन धूप भले जितनी आक्रामक हो, ढलती है ...
अवसर है, मानवता के पथ का निर्माण करो ...
मत अभिमान करो ... Raavi (Pen name)

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ananda Shresta on July 17, 2011 at 10:57pm

सुन्दर रचना ।

कल साँसों की संचित पूँजी चुकने वाली है ...
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 21, 2011 at 10:11pm

शाश्वत सत्य कई रूपों में मुखरित हुआ है.

इस निर्देशात्मक रचना की कई पंक्तियों ने मुग्ध किया है. बधाई.

 

Comment by Prabha Khanna on June 21, 2011 at 9:35am
Manniya Shanno di, aur sabhi aadarneey mittron ka haardik dhanyavaad... I am new to OBO, but like this platform very much... Raavi (is my pen name).
Comment by neeraj tripathi on June 20, 2011 at 5:56pm
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...
स्नेह मिला तुमको जितना भी, अब प्रतिदान करो ...
ये विशेष लगा ....सुन्दर रचना....धन्यवाद
Comment by Rajeev Mishra on June 20, 2011 at 2:39pm
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति साधुवाद ! एक बेहतरीन रचना !
Comment by प्रदीप सिंह चौहान on June 20, 2011 at 1:12pm
कल साँसों की संचित पूँजी चुकने वाली है ...
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...
स्नेह मिला तुमको जितना भी, अब प्रतिदान करो ...
मत अभिमान करो ...
                                       बहुत ही सुंदर और सारगर्भित रचना .........
Comment by Shanno Aggarwal on June 20, 2011 at 1:04pm

प्रिय प्रभा, तुम ओबीओ पर आ गयी हो और आते ही धमाका ! मेरा मतलब कि इतनी सुंदर रचना लिखकर प्रस्तुत की है..पढ़कर बहुत खुशी हुई. बधाई स्वीकार करो.

'' बीत चुके दिन कच्चे - पक्के, अब उनको छोड़ो ...
नयी दिशा को, नयी डगर को जीवन रथ मोड़ो ...
नए स्वप्न लेकर सुख - रजनी का आव्हान करो ...
मत अभिमान करो ...'' बहुत खूब..ऐसे ही लिखती रहो.  

Comment by विवेक मिश्र on June 20, 2011 at 12:36pm
सकारात्मक ऊर्जा से भरा सुन्दर गीत. ऐसे नवगीत आजकल कम ही सुनाई पड़ते हैं. साधुवाद.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 9:33am

कल साँसों की संचित पूँजी चुकने वाली है ...
माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है ...

 

आहा ! जीवन की सच्चाई को बयान करती बेहद ही संजीदा रचना, माटी ही माटी को आकर ढकने वाली है..यह अटल सत्य है फिर भी हम इस तथ्य को समझते हुए ना समझने का उपक्रम किये बैठे है |

बहुत खूब प्रभा जी, इस शानदार अभिव्यक्ति हेतु ह्रदय से बधाई स्वीकार करे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service