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Prabha Khanna's Blog (9)

बादल ने पूछा मानव से

बादल ने पूछा मानव से :

क्यों वृक्षों को काट दिया ?



धरती माँ का धानी आँचल

सौ टुकड़ों में बाँट दिया !



बन जायेंगे उन पेड़ों से कुछ खिड़की , कुछ दरवाज़े ...

देते रहना फिर बारिश की बूंदों को तुम आवाज़े ...



मानव ! तुमको कंक्रीट के जंगल बहोत सुहाते हैं ,

बोलो , क्या उनमें सावन के मोर नाचने आते हैं ?



बिन बरसे बादल लौटे तो धरती शाप तुम्हें देगी -

तपती , गरम हवा , सूखी नदिया संताप तुम्हें देगी !



वृक्ष धरा का आभूषण हैं , वृक्ष…

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Added by Prabha Khanna on September 26, 2012 at 3:30pm — 4 Comments

हल नहीं होते हैं कुछ मुश्किल सवाल...

हल नहीं होते हैं कुछ मुश्किल सवाल ......

मसअले नाज़ुक हैं , टाले जायेंगे .......



ये शहर पत्थर का और हम काँच के ......…

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Added by Prabha Khanna on August 21, 2011 at 4:30pm — 10 Comments

ज़ेहन मे दीवार जो सबने उठा ली है

ज़ेहन मे दीवार जो सबने उठा ली है,

रातें भी नही रोशन, शहर भी काली है |



मालिक ने अता की है, एक ज़िंदगी फूलों सी,

काँटों से बनी माला क्यूँ कंठ मे डाली है |



कैसी ये तरक्की है , कैसी ये खुशहाली है,

पैसे से जेब भारी, दिल प्यार से खाली है |



दर्द फ़क़त अपना ही दर्द सा लगता है,

औरों के दर्द-ओ-गम से आँख चुरा ली है |



किस-किस को सुनाएँगे अफ़साना-ए-हयात अब,

बेहतर है खामोशी, जो लब पे सज़ा ली है |

  • रावी…
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Added by Prabha Khanna on July 18, 2011 at 7:00pm — 11 Comments

ये तेरी ज़द मे रहता है

ये तेरी ज़द मे रहता है , तू अपनी हद मे रहता है ........

परिंदा दिल का कब खींची हुई सरहद मे रहता है ........

सफ़र अब तय नही होता ... चलो अब लौट जाते हैं ........

अगर… Continue

Added by Prabha Khanna on June 28, 2011 at 6:50pm — No Comments

मेरी अपनी

गुलामी की ये कड़ियाँ , हाँ ये कड़ियाँ मेरी अपनी हैं ... सलाखें मेरी अपनी हैं ...........

भले ही बंद हैं आँखें , ये आँखें मेरी अपनी हैं .......



बहारों जैसे मौसम इत्तेफाकन तो नहीं आते , गुलाबों को मसल देने की आदत मेरी अपनी है .......



ज़माने भर की खुशियाँ बाँध कर आँगन में रखो तुम , मिले जो कुछ , गँवा देने …
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Added by Prabha Khanna on June 28, 2011 at 10:30am — No Comments

ज़बां फूलों सी रखता है

ज़बां फूलों सी रखता है ......

अना पत्थर सी रखता है ......

अधूरी दास्तां दिल मे छिपा कर वो भी रखता है ......…





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Added by Prabha Khanna on June 24, 2011 at 7:02pm — 6 Comments

कभी ज़िंदगी से भी मिलो

कभी ज़िंदगी से भी मिलो --



ज़िंदगी ...... किसी क़ीमत पर हारती ही नही --…

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Added by Prabha Khanna on June 22, 2011 at 10:00pm — 4 Comments

कभी मुझे इस दुनिया में रहने का ढब न आएगा ...

कौन किसी के अश्रु पिएगा, कौन घाव सहलाएगा ...

पत्थर दिल वालों की नगरिया में तू धोखा खाएगा ...



माँगेगा दो बोल प्रेम के, तुझे भिखारी समझेंगे ...

जो कुछ… Continue

Added by Prabha Khanna on June 21, 2011 at 9:54am — 9 Comments

मत अभिमान करो ...

मत अभिमान करो ...

समय पक्षधर बना आज,

उसका सम्मान करो ...



कल साँसों की संचित पूँजी चुकने वाली है ...…

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Added by Prabha Khanna on June 20, 2011 at 9:00am — 9 Comments

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