For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बादल ने पूछा मानव से

बादल ने पूछा मानव से :
क्यों वृक्षों को काट दिया ?

धरती माँ का धानी आँचल
सौ टुकड़ों में बाँट दिया !

बन जायेंगे उन पेड़ों से कुछ खिड़की , कुछ दरवाज़े ...
देते रहना फिर बारिश की बूंदों को तुम आवाज़े ...

मानव ! तुमको कंक्रीट के जंगल बहोत सुहाते हैं ,
बोलो , क्या उनमें सावन के मोर नाचने आते हैं ?

बिन बरसे बादल लौटे तो धरती शाप तुम्हें देगी -
तपती , गरम हवा , सूखी नदिया संताप तुम्हें देगी !

वृक्ष धरा का आभूषण हैं , वृक्ष धरा का सोना हैं ,
वृक्षों से विहीन धरती पर कल तुमको भी रोना है

.............रावी

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on September 26, 2012 at 7:25pm

बादल ने पूछा मानव से :
क्यों वृक्षों को काट दिया ?

धरती माँ का धानी आँचल
सौ टुकड़ों में बाँट दिया .............एक निरंतर प्रवाहित होती नदी की तरह लगी आपकी कविता जिस प्रकार प्रवाहित जल में गन्दगी नहीं रुक पाती उसी तरह शब्दों का  और अनुशासित निरंतर प्रवाह किसी दोष को आने नहीं देता ....बहुत खूब 

भाव और शिल्प दोनों ने मुग्ध कर दिया ....बधाई प्रभा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2012 at 5:39pm

बहुत गहरी संवेदना पूर्ण अभिव्यक्ति बधाई प्रभा खन्ना जी 

जिन वृक्षों की हमें पूजा कानी चाहिए, उन्हें काट रहे है 

जिन व्रक्षों से हमें छाया मिलती, उनको हम मार रहे है |

न समाज का, न सरकार का न मानव को कोई गम है ,

वृक्षों की कटाई के विरोध में जितना लिखा जाए कम है |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2012 at 5:35pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति, 

बादल नें पूछा मानव से, क्यों वृक्षों को काट दिया?.... दिल को छूने वाले शब्द 
हार्दिक बधाई इस रचना हेतु आ. प्रभा खन्ना जी 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2012 at 5:02pm

बहुत अच्छी संदेशपरक प्रस्तुति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service