कभी ज़िंदगी से भी मिलो --
ज़िंदगी ...... किसी क़ीमत पर हारती ही नही --
रक्स करती है ता उम्र जो सांसो की ताल पर ......
रोते नही देखा ..... इसे तो कभी अपने हाल पर .....
खुशियाँ मिले या मिलें गम के भारी पत्थर --
प्राणो मे बहती रासधार से देती है उत्तर --
अब मिली हुई दौलत तौलो .....
दाग सभी दिल के धो लो ....
रहने दो , किस्मत का रोना ....
सोचो तो जीवन है सोना !
फिर क्यूँ ना फूल से खिलो --
मिलो ..... कभी ज़िंदगी से भी मिलो ! ........... Raavi (prabha)
Comment
अब मिली हुई दौलत तौलो .....
दाग सभी दिल के धो लो ....
रहने दो , किस्मत का रोना ....
सोचो तो जीवन है सोना !
आहा ! क्या बात है , सोचो तो जीवन है सोना ......शानदार रचना , सकरात्मक ऊर्जा से भरी हुई बहुत ही खुबसूरत रचना बन पड़ी है | रावी जी इस खुबसूरत कृति पर बधाई स्वीकार करे |
बहुत शानदार रचना, प्रभा !
खुशियाँ मिले या मिलें गम के भारी पत्थर --
प्राणो मे बहती रासधार से देती है उत्तर --
अब मिली हुई दौलत तौलो .....
दाग सभी दिल के धो लो ....
रहने दो , किस्मत का रोना ....
सोचो तो जीवन है सोना !
फिर क्यूँ ना फूल से खिलो --
मिलो ..... कभी ज़िंदगी से भी मिलो
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