"अरे भाई ! इस दफ़ा तो पहले रोज़े से ही मैंने 'चाय' पीना छोड़ दिया इस रमज़ान में!" चाय का प्याला ले कर आये सल्लू से कहते हुए मिर्ज़ा साहिब ने अपनी तस्वीह (जापमाला) पर अपनी तर्जनी दौड़ाते हुए कहा- "पूरा एक हफ़्ता हो गया है आज!"
"तुम भी ग़ज़ब करते हो चच्चाजान! जैसे-तैसे आज निकले इधर से, और आजई जे ख़बर दे रये हो!" केतली हिलाते हुए दूसरे ग्राहक को चाय उड़ेलते हुए वह बोला - "तुम 'चाय' के शौक़ीन हमारे रेगुलर ग्राहकों में से हो, तुमईं ने छोड़ दई! ऐसो का हो गओ चच्चा! तम्बाकू-बीड़ी के बाद चाय भी न पी हो, तो हमाओ बिजनेस तो डूब जैहे न!"
"लेकिन सल्लू, एक ही हफ़्ते में पेट और भूख दोनों सही हो गए! समझ आ गया है कि 'चाय' कितनी ख़तरनाक चीज़ है जिस्मानी और दिमाग़ी सेहत के लिए!" चच्चाजान ने इफ़्तारी का कुछ सामान उससे ख़रीदते हुए कहा -"तुमने चार साल में इतनी बड़ी दुकान कर ली, तुम्हें वैसा कोई घाटा नहीं होने दूंगा।"
"तो फिर अब तू पकोड़े तलना भी शुरू कर दे, बढ़िया मौक़ा है सल्लू! कब तक 'चायवाला' ही कहलायेगा?" समीप खड़े एक युवक ने तुरंत कहा।
"अबे, वह 'चायवाला' भले कहलाये, लेकिन झूठा-फ़रेबी फेंकू या गप्पी नहीं है!" दूसरे साथी युवक ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा - "वरना, दूसरे चायवालों के तो इतने सालों में वारे-न्यारे हो गये!"
"सही कहते हो बेटा, सल्लू जैसा ईमानदार था; अनपढ़ भले है, लेकिन आज भी वैसा ही है, हवाओं के असरात से दूर! डर के दर से दूर!" चच्चाजान कुछ अनमने से होकर अपनी तस्वीह कुर्ते के ज़ेब में डालते हुए बोले- "किसी मज़हब का तो इस दुकान में कोई मतलब और झगड़ा है ही नहीं! काम ही मज़हब है इसके लिए!"
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
मेरी इस रचना पर समय देकर अवलोकन कर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार सांझा करने के लिये तहे दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा, मुहतरमा नीलिमा उपाध्याय साहिबा, जनाब तेजवीर सिंह साहिब, जनाब चेतन प्रकाश साहिब, जनाब महेंद्र कुमार साहिब और.जनाब विजय निकोरे साहिब।
//काम ही मज़हब है इसके लिए //.....
वाह, गज़ब.. ! इतना प्रभावशाली भाव ... आनन्द आ गया, भाई शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी।
बढ़िया लघुकथा है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन कटाक्ष पूर्ण लघुकथा।
लघु-कथा का अभीष्ट ही उस का केन्द्रीय भाव होता है, जो प्रस्तुति में स्पष्ट नहीं है।
में अभाव जान पड़ता है।
आदरणीय शहजाद उस्मानी जी, नमस्कार। बहुत ही बढ़िया विषयवस्तु है लघुकथा का। बधाई स्वीकार करें।
वर्तमान राजनेताओ की छवि और कार्यशैली का प्रतीकात्मक शैली में वयां करना.बहुत ही सुंदर लगा ,प्रस्तुत रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए आ.सर जी.
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