For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाय पर चर्चा (लघुकथा)

"अरे भाई ! इस दफ़ा तो पहले रोज़े से ही मैंने 'चाय' पीना छोड़ दिया इस रमज़ान में!" चाय का प्याला ले कर आये सल्लू से कहते हुए मिर्ज़ा साहिब ने अपनी तस्वीह (जापमाला) पर अपनी तर्जनी दौड़ाते हुए कहा- "पूरा एक हफ़्ता हो गया है आज!"


"तुम भी ग़ज़ब करते हो चच्चाजान! जैसे-तैसे आज निकले इधर से, और आजई जे ख़बर दे रये हो!" केतली हिलाते हुए दूसरे ग्राहक को चाय उड़ेलते हुए वह बोला - "तुम 'चाय' के शौक़ीन हमारे रेगुलर ग्राहकों में से हो, तुमईं ने छोड़ दई! ऐसो का हो गओ चच्चा! तम्बाकू-बीड़ी के बाद चाय भी न पी हो, तो हमाओ बिजनेस तो डूब जैहे न!"


"लेकिन सल्लू, एक ही हफ़्ते में पेट और भूख दोनों सही हो गए! समझ आ गया है कि 'चाय' कितनी ख़तरनाक चीज़ है जिस्मानी और दिमाग़ी सेहत के लिए!" चच्चाजान ने इफ़्तारी का कुछ सामान उससे ख़रीदते हुए कहा -"तुमने चार साल में इतनी बड़ी दुकान कर ली, तुम्हें वैसा कोई घाटा नहीं होने दूंगा।"


"तो फिर अब तू पकोड़े तलना भी शुरू कर दे, बढ़िया मौक़ा है सल्लू! कब तक 'चायवाला' ही कहलायेगा?" समीप खड़े एक युवक ने तुरंत कहा।


"अबे, वह 'चायवाला' भले कहलाये, लेकिन झूठा-फ़रेबी फेंकू या गप्पी नहीं है!" दूसरे साथी युवक ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा - "वरना, दूसरे चायवालों के तो इतने सालों में वारे-न्यारे हो गये!"


"सही कहते हो बेटा, सल्लू जैसा ईमानदार था; अनपढ़ भले है, लेकिन आज भी वैसा ही है, हवाओं के असरात से दूर! डर के दर से दूर!" चच्चाजान कुछ अनमने से होकर अपनी तस्वीह कुर्ते के ज़ेब में डालते हुए बोले- "किसी मज़हब का तो इस दुकान में कोई मतलब और  झगड़ा है ही नहीं! काम ही मज़हब है इसके लिए!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 30, 2018 at 1:35am

मेरी इस रचना पर समय देकर अवलोकन कर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार सांझा करने के लिये तहे दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया मुहतरमा  बबीता गुप्ता साहिबा, मुहतरमा नीलिमा उपाध्याय साहिबा, जनाब तेजवीर सिंह साहिब, जनाब चेतन प्रकाश साहिब, जनाब महेंद्र कुमार साहिब और.जनाब विजय निकोरे साहिब।

Comment by vijay nikore on May 28, 2018 at 12:25pm

//काम ही मज़हब है इसके लिए //.....

वाह, गज़ब.. ! इतना प्रभावशाली भाव ... आनन्द आ गया, भाई शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Mahendra Kumar on May 28, 2018 at 10:54am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by TEJ VEER SINGH on May 26, 2018 at 12:19pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन कटाक्ष पूर्ण लघुकथा।

Comment by Chetan Prakash on May 24, 2018 at 4:19pm

लघु-कथा का अभीष्ट ही उस का केन्द्रीय भाव होता है, जो प्रस्तुति में स्पष्ट नहीं है। 

में अभाव जान पड़ता है। 

Comment by Neelam Upadhyaya on May 24, 2018 at 2:49pm

आदरणीय शहजाद उस्मानी जी, नमस्कार।  बहुत ही बढ़िया विषयवस्तु है लघुकथा का।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by babitagupta on May 24, 2018 at 2:00pm

वर्तमान राजनेताओ की छवि और कार्यशैली का  प्रतीकात्मक शैली में वयां करना.बहुत ही सुंदर लगा ,प्रस्तुत रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए आ.सर जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service