For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नदिया  पोखर सब सूखे - गजल ( लक्ष्मण धामी " मुसाफिर"

२२२२ २२२२ २२२२ २२२


पोथा पढ़ना पंडित  भूले  शुभ मंगल  में आग लगी
जो माथे को शीतल करता उस संदल में आग लगी।१।


जहर  भरा  है  खूब हवा  में  हर मौसम दमघोटू  है
पंछी अब क्या घर लौटेंगे जिस जंगल में आग लगी।२।


कैसी  नफरत  फैल  गयी  है  बस्ती  बस्ती  देखो तो
जिसकी छाँव तले सब खेले उस पीपल में आग लगी।३।


धन दौलत  की  यार पिपासा  इच्छाओं का कत्ल करे
चढ़ते यौवन जिसकी चाहत उस आँचल में आग लगी।४।


किस्मत फूटी है हलधर की नदिया  पोखर सब सूखे
कब देता है पानी जग को जिस बादल में आग लगी।५।


मौलिक/अप्रकाशित

Views: 924

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 13, 2018 at 6:25am

आ. भाई विजय जी, उपस्थिति से गजल का मान बढा़ने के लिए आभार ।

Comment by vijay nikore on June 12, 2018 at 9:51am

//कैसी  नफरत  फैल  गयी  है  बस्ती  बस्ती  देखो तो 
जिसकी छाँव तले सब खेले उस पीपल में आग लगी।३।//

वाह, वाह ! बहुत ही उम्दा गज़ल लिखी है। हार्दिक बधाई, लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2018 at 8:21pm

आ. भाई बृजेश जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 2:43pm

वाह वाह आदरणीय क्या खूब ग़ज़ल कही वाह...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2018 at 1:06pm

आ. भाई गुमनाम जी, उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 8, 2018 at 9:45am

वाह क्या खूबसूरत आग लगाई ,,,,,वाह बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 8, 2018 at 7:50am

आ. भाई मोहित जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 7, 2018 at 6:48pm

आ. भाई गंगाधर जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on June 7, 2018 at 4:24pm

आदरणीय मुसाफिर साहब....उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई......

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 7, 2018 at 1:34pm

आ. भाई तेजवीर जी, स्नेहिल उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
9 hours ago
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service