अंतिम दर्शन हेतु उसके चेहरे पर रखा कपड़ा हटाते ही वहाँ खड़े लोग चौंक उठे। शव को पसीना आ रहा था और होंठ बुदबुदा रहे थे। यह देखकर अधिकतर लोग भयभीत हो भाग निकले, लेकिन परिवारजनों के साथ कुछ बहादुर लोग वहीँ रुके रहे। हालाँकि उनमें से भी किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि शव के पास जा सकें। वहाँ दो वर्दीधारी पुलिस वाले भी खड़े थे, उनमें से एक बोला, "डॉक्टर ने चेक तो ठीक किया था? फांसी के इतने वक्त के बाद भी ज़िन्दा है क्या?"
दूसरा धीमे कदमों से शव के पास गया, उसकी नाक पर अंगुली रखी और हैरत भरे स्वर में बोला, "इसकी साँसें चल रही हैं!" यह सुनते ही परिजनों की छलकती आँखें ख़ुशी से चमक उठीं।
अब शव के पूरे शरीर में सुगबुगाहट होने लगी और वह उठ कर बैठ गया। परिजनों में से एक पुलिस वालों से बोला, "इन्हें आप लोग नहीं ले जायेंगे। यह तो नया जन्म हुआ है!"
और वह स्थिर आँखों से देखते हुए अपनी पूरी शक्ति लगाकर खड़ा हुआ, अपने ऊपर रखी चादर को ओढा और घर के अंदर चला गया। परिजन भी उसके पीछे-पीछे चल पड़े।
अंदर जाकर वह एक कुर्सी पर बैठ गया और अपने परिजनों को देख कर मुस्कुराने का असफल प्रयास करते हुए बहुत धीमे स्वर में बोला, "ईश्वर ने... फिर भेज दिया... तुम सबके पास.."। परिजनों ने उसकी बात सुनी नहीं पर समझकर नतमस्तक हो ईश्वर का शुक्र मनाया।
लेकिन उसी वक्त उसके मस्तिष्क में वे शब्द गूंजने लगे, जब उसे नर्क ले जाया गया था और वहाँ दरवाज़े से ही धकेल कर फैंक दिया गया, इस चिंघाड़ के साथ कि, "पापी! तूने एक मासूम के साथ बलात्कार किया है... तेरे लिए तो नर्क में भी जगह नहीं है... फैंक दो इस गंदगी को...."
और उसने देखा कि ज़मीन पर छोटे-छोटे कीड़े उससे दूर भाग रहे हैं।
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय चंद्रेश जी, नमस्कार । समसामयिक विषय और सामाजिक सरोकार से भरपूर महत्वपूर्ण संदेश देती बहुत हे बेहतरीन लघुकथा । प्रस्तुति के हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सर जी, बहुत ही सटीक वाक्यों में संदेश देती लघुकथा कि पापी को नरक में भी जगह नहीं है।हार्दिक बधाई।
हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी।वाह, क्या गज़ब की लघुकथा। आपकी सोच और कल्पनाशीलता की दाद देनी पड़ेगी। कायल हो गया आपकी रचना धर्मिता का। बहुत समय बाद आपकी लघुकथा पढ़ने को मिली, लेकिन मज़ा आगया।पुनः बधाई।
बहुत सुन्दर !! लघुकथा के लिये बधाइयाँ ॥सादर |
आदरणीय चन्द्रेश जी, नमस्कार
भाव विभोर कर देने बाली बहुत ही सुन्दर लघुकथा ।
दिलीमुबारकबाद क़ुबूल करें ।
सांकेतिकता/ प्रतीकात्मकता भी है।
स्वर्ग-नरक के पूर्व की कार्रवाई पर बेहतरीन परिकल्पना के साथ अभीष्ट संदेश सम्प्रेषित करती समसामयिक विचारोत्तेजक और प्रभावोत्पादक सामाजिक सरोकार की अद्भुत बेहतरीन लघुकथा के लिये तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार मुहतरम जनाब डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी साहिब। शीर्षक भी बढ़िया। सर्प्राइज़ एलीमेंट के लिये कोई और शीर्षक धार्मिक ग्रंथों से लिया जा सकता है सरल संस्कृत आदि में।
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