जीवन की पतंग
पापा थे डोर
उड़ान हरदम
आकाश की ओर
पापा सूरज की किरण
प्यार का सागर
दुःख के हर कोने में
खड़ा उनको पाया
छोटी ऊँगली पकड़
चलना मुझको सिखलाया
हर उलझन को पापा
तुमने ही सुलझाया
हर मुश्किल में पापा
प्यार हम पर बरसाया
मेरे हर आंसू ने
तुम्हारी आँखों को भिगोया
मेरे कमजोर पलों में
मेरा विश्वास बढ़ाया
तुम से बढ़कर पापा
प्यार न कोई पाया
प्यार न कोई पाया।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
बहुत बढिया सृजन पितृ दिवस पर, हार्दिक बधाई आदरणीया नीलम जी
चंद लाईनों में पापा के प्रति अपार प्रेम,श्रद्धा को अभिव्यक्त करती कविता,हार्दिक बधाई,प्रस्तुत रचना के लिए आदरणीया नीलम दी.
मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,पिता को समर्पित अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय उस्मानी जी , बहुत बहुत आभार ।
वाह। गागर में यथार्थ का सागर! हार्दिक बधाई और आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी
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