(फाइलातुन _मफाइलुन_फेलुन)
कोई मुश्किल ज़रूर आनी है |
हो गई उनकी महरबानी है |
तिशनगी जो बुझाए लोगों की
तुझ में सागर कहाँ वो पानी है |
और मुझ से वो हो गए बद ज़न
बात यारों की जब से मानी है |
खा गई घर का चैन मँहगाई
उनकी जिस दिन से हुक्म रानी है |
ज़ख्म तू ने दिए हैं ले कर दिल
जुल की फितरत तेरी पुरानी है |
इंक़लाब आए क्यूँ न बस्ती में
उन पे आई गज़ब जवानी है |
तरके उल्फत करें वही तस्दीक
मुझको तो दोस्ती निभानी है |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जानेमन-----बेईमान-----मात्रा गिराना कुछ शंका है।। सुधिजन कुछ कहें ,,,,,,
जनाब गुमनाम साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | जानेमन पूरा एक शब्द है जिसका मतलब महबूब होता है और बे ईमानी में एक मात्रा गिरा कर बे इमानी किया गया है |शायद शंका समाधान हो गया होगा |
वाह खूब गज़ल हुई है ,,, एक बात पर शंका है समाधान करें, जानेमन और बेईमानी को क्या जाने मन ,,,,, बे इमानी ,,, लिखा जा सकता है । सुधि जान भी शंका समाधान करें।
मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।लाज़वाब गज़ल।
खा गई घर का चैन मँहगाई
उनकी जिस दिन से हुक्म रानी है |
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
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