For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवाओं से रूबरू (लघुकथा)

धोबन ढेर सारे कपड़़े धोकर छत पर बंधे तार पर क्लिप लगा कर सूखने डाल गई थी। कुछ ही देर में तेज़ हवायें आंधी का रूप ले चुकीं थीं। घर में कोई कपड़ों की सुध नहीं ले रहा था। वे असहाय से कपड़़े अब हवा के रुख़ के संग फड़फड़ाने लगे थे।


"बड़ा मज़ा आ रहा है! अब मैं ज़ल्दी से सूख कर राहत पाऊंंगी।" तार में लगे क्लिप और आंधी के साथ अपना संतुलन बनाते हुए एक पोषाक ने कहा।


"मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा कि कैसे संभालूं अपने आप को!" एक छोटी सी आधुनिक फैशनेबल पोषाक ने क्लिप संग सब तरफ़ झूमते हुए कहा- "कहीं हवा संग उड़ कर किसी नाली या गटर में न गिर जाऊं कॉलोनी में!"


"देखा, मैं देसी संस्कृति के मुताबिक हूँ, तो सुरक्षित हूँ, मज़े ले रही हूँ! और तुम आंधी से डर रही हो? कैसी आधुनिका हो?"


दूसरी छत पर इतराती  स्कर्ट-टॉप पहने एक युवती की ओर देखकर वह छोटी पोषाक तार में ही लिपटती हुई उस पर बड़े आत्मविश्वास के साथ झूलती उस पोषाक को देखती रह गई।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 20, 2019 at 4:04pm

कृपया शब्द //पोषाक// को सही शब्द /पोशाक/ पढ़िएगा।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 3, 2018 at 9:40pm

मेरी इस अभ्यास रचना पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई करते हुए अपने विचार सांझा करने हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय : Samar kabeer  साहिब,  Neelam Upadhyaya साहिबा,  जनाब श्याम नारायण शर्मा साहिब व जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 21, 2018 at 4:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 9:52pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:34pm

आदरणीय  उस्मानी जी, नमस्कार ।  बहुत ही सटीक तंज किया है।  बढ़िया लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by babitagupta on June 20, 2018 at 1:23pm

पाश्चात्य सभ्यता के जरा सी हवा में पैर उखड़ते,संदेश देती बेहतरीन लघुकथा,आदरणीय सर जी बधाई स्वीकार कीजिएगा.

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2018 at 10:41am
बहुत सुन्दर !! लघुकथा के लिये बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service