For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दे गया दर्द कोई साथ निभाने वाला

2122 1122 1122 22

दे गया दर्द कोई साथ निभाने वाला ।
याद आएगा बहुत रूठ के जाने वाला ।।

जाने कैसा है हुनर ज़ख्म नया देता है ।
खूब शातिर है कोई तीर चलाने वाला ।।

उम्र पे ढल ही गयी मैकशी की बेताबी ।
अब तो मिलता ही नहीं पीने पिलाने वाला ।।

अब मुहब्बत पे यकीं कौन करेग़ा साहब ।
यार मिलता है यहां भूँख मिटाने वाला ।।

उसके चेहरे की ये खामोश अदा कहती है ।
कोई तूफ़ान बहुत जोर से आने वाला ।।

गम भी खाना है इबादत खुदा की दुनिया में ।
हार जाएगा कभी जुल्म को ढाने वाला ।।

हर कदम पर है यहां मौत का जलवा यारों ।
ढूढ़ लेता है मुझे रोज बचाने वाला ।।

दुश्मनी गर हो सलामत तो सुकूँ मिल जाए ।
लूट जाता है मुझे हाथ मिलाने वाला ।।

कुछ तबस्सुम से तबाही का इरादा लेकर ।
रोज मिलता है मिरे दिल को जलाने वाला ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:11am

उम्दा ग़ज़ल कही है आदरणीय त्रिपाठी जी...

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2018 at 7:27pm

आ0 कबीर सर सादर आभार । गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से प्रेरित होकर  छठा शेर लिखा था । महत्व पूर्ण इस्लाह हेतु विशेष आभार । ग़ज़ल को ठीक करता हूँ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2018 at 7:24pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:18pm

आदरणीय नवीन मणि जी, नमस्कार।  बहुत ही उम्दा ग़ज़ल की प्रस्तुति । दिल से मुबारकबाद ।

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 12:25pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर का ऊला मिसरा शिल्प की दृष्टि से कमज़ोर है, बदलने का प्रयास करें ।

4थे के सानी में 'भूँख' को "भूख" कर लें ।

'कोई तूफ़ान बहुत ज़ोर से आने वाला'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो भाव स्पष्ट हो जायेगा:-

'कोई तूफ़ाँ है बहुत ज़ोर से आने वाला'

छटे शैर का भाव ठीक नहीं,ज़ुल्म करने वाला और सहने वाला दोनों ही दोषी  होते हैं ।

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2018 at 11:03am
उम्दा गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद ....
Comment by gumnaam pithoragarhi on June 20, 2018 at 10:57am

वाह बहुत खूब,,,, अब मुहब्बत पे ,,,,वाह

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2018 at 10:13pm

आ0  तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2018 at 10:12pm

आ0 बसंत कुमार शर्मा जी सप्रेम आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 19, 2018 at 9:50am

वाह बहुत खूबसूरत गजल हुई है आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
21 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service