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आप जब आईने में सँवर जाएंगे ।
फिर तसव्वुर मेरे चाँद पर जाएंगे ।।1
गर इरादा हमारा सलामत रहा ।
तो सितारे जमीं पर उतर जायेंगे ।।2
आज महफ़िल में वो आएंगे बेनकाब ।
देखकर हुस्न को इक नज़र जाएंगे ।।3
आज मौसम हसीं ढल गयी शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब किधर जाएंगे ।।4
कीजिये बेसबब और इनकार मत ।
हौसले और मेरे निखर जाएंगे ।।5
जानकर क्या करेंगे वो अब हाले दिल ।
खुल गई गर जुबां तो सिहर जाएँगे ।।6
उँगलियाँ मत उठाओ अभी इश्क़ पर ।
ठोकरें खा के हम भी सुधर जाएंगे ।।7
अब निभाने की बातें बहुत हो चुकीं ।
मुझको मालूम है वो मुकर जाएंगे ।।8
ये अना बेरुखी देखकर लोग तो ।
दिल लगाने से पहले ही डर जाएंगे ।।9
हिज्र से फर्क इतना पड़ेगा यहाँ ।
ख्वाब थे कुछ बुने जो बिखर जायेंगे ।।10
मैकदे मत बुला दिल पे काबू कहाँ ।
हम जो आये तो हद से गुज़र जाएंगे ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कानपुर
Comment
वाह वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई।
वाह खूब,,,, ग़ज़ल अच्छी लगी,,,,,बधाई
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