For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई दुपट्टा उड़ा रहा था

121 22 121 22
वो शख्स क्यूँ मुस्कुरा रहा था ।
जो मुद्दतों से ख़फ़ा रहा था ।।

वो चुपके चुपके नये हुनर से ।
सही निशाना लगा रहा था ।।

अदाएँ क़ातिल निगाह पैनी।
जो तीर दिल पर चला रहा था ।।

तबाह करने को मेरी हस्ती ।
कोई इरादा बना रहा था ।।

मुग़ालता है उसे यकीनन ।
नया फ़साना सुना रहा था ।।

बदलते चेहरे का रंग कुछ तो ।
तुम्हारा मक़सद बता रहा था ।।

ज़माना गुज़रा है उसको देखे।
जो ख्वाब अब तक सता रहा था ।।

बला की सूरत सियाह जुल्फें ।
वो रुख से पर्दा हटा रहा था ।।

बिखेर कर लब पे यूँ तबस्सुम ।
तमाम ग़म तू छुपा रहा था ।।

हवा की ख़ुशबू बता रही थी ।
कोई पदुपट्टा उड़ा रहा था ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 5, 2018 at 8:34pm

आ0  ब्रजेश कुमार ब्रज साहब तहे दिल से शुक्रियः

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 5, 2018 at 5:38pm

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी...

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 4, 2018 at 8:04pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 4, 2018 at 8:03pm

आ0 सुशील शरण साहब हार्दिक आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 4, 2018 at 8:02pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ तहे दिल से शुक्रियः । 

Comment by Sushil Sarna on July 4, 2018 at 4:59pm

हवा की ख़ुशबू बता रही थी ।
कोई पदुपट्टा उड़ा रहा था ।।.... वाह वाह वाह बेहतरीन अशआर ... इस जानदार,दमदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर.

Comment by Shyam Narain Verma on July 4, 2018 at 3:35pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।
Comment by Samar kabeer on July 4, 2018 at 2:02pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 4, 2018 at 1:01pm

आदरणीय 

लक्ष्मण धामी साहब 

आ0 राम अवध विश्वकर्मा साहब 

आ0 गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब 

ग़ज़ल तक आने के लिए हार्दिक आभार और शुक्रियः ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 3, 2018 at 9:31pm

वाह अच्छा है,,,, बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service