Comment
ग़ज़ल बहुत ही खूबसूरत कही है आदरणीय..और आदरणीय समर जी ने एक ज्ञान बात भी बताई..बहुत बहुत शुक्रिया..
बढ़िया ग़ज़ल की पेशकश के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी दिल से शुक्रिया आपका
आदरणीय Samar kabeer जी दिल से शुक्रिया आपका आपने मेरी रचना को समय दिया और अतिमहत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराया, सादर नमन आपको
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी दिल से शुक्रिया आपका
हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'क्या ग़लत है क्या सही है'
इस मिसरे में क़ाफ़िया दोष है,इस सम्बन्ध में मंच को आपके माध्यम से एक महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूँ ।
"सही"(फ़ारसी)--अर्थ: सीधा-रास्त, उमूमन 'सर्व'(एक दरख़्त,जो बहुत लम्बा और सीधा होता है)की सिफ़त के तौर पर इस्तेमाल होता है ।
"सहीह"(अरबी)--अर्थ: दुरुस्त-ठीक-बजा-तस्दीक़-
दस्तख़त ।
जब किसी शब्द को जांचना हो तो उसका उलट शब्द देखना चाहिये, जैसे "सीधा" का उलट होगा "टेडा"
"सहीह" का उलट होगा "ग़लत" ।
आम तौर पर लोग "सही" को "सहीह" के अर्थ में ले लेते हैं,जबकि ये सरासर ग़लत है,आम तौर पर "सही" का उच्चारण "सहीह" कर लिया जाता है,लेकिन ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसमें प्रचलन में आये शब्दों से बचा जाना चाहिए ।
आ. भाई बसंत जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
दिल से शुक्रिया आपका आदरणीय Shyam Narain Verma जी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई! |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online