जिंदगी यूँ तो लौट आएगी
पटरी पर
पर याद आएगा सफ़र का
हर मोड़
कुछ गडमड सड़कों के
हिचकोले
कुछ सपाट रस्तों पर बेवजह
फिसलना
और वक्त-बेवक्त तेरा
साथ होना |
याद आएगा एक पेड़
घना छाँवदार
जिसके आसरे एक पौधा
पेड़ बना |
मौसमों की हर तीक्ष्णता का
सह वार
पौधे को सदा दिया
ओट प्यार |
निश्चय ही मौसम बदलने से
होगा कुछ अंकुरित
पर वो रसाल है मेरी जड़ो में
नहीं होगा विस्मृत |
सोमेश कुमार (मौलिक एवं अमुद्रित )
Comment
अंतिम चार पंक्तियाँ कविता का पूरा निचोड़ प्रस्तुत करती हैं.बेहतरीन रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीयय सोमेश सरजी।
वाह सोमेश जी बहुत सुंदर प्रस्तुति। निश्चय ही मौसम बदलने से
होगा कुछ अंकुरित
पर वो रसाल है मेरी जड़ो में
नहीं होगा विस्मृत | अति सुंदर भाव हार्दिक बधाई।
आदरणीय
समर कबीर जी
क्षमाप्रार्थी हूँ की आपके बार-बार आग्रह के बावजूद मंच पर सक्रिय अन्य मित्रों को उनकी रचना पर प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा हूँ |आग्रह है की इस तथ्य को समझें की मंच का हर सदस्य अलग-अलग परिस्थितियों और आयु-वर्ग से सम्बन्ध रखता है और उसकी यह परिस्तिथियाँ उसके पास उपलब्ध समय और उसकी साहित्यिक सक्रियता को भी प्रभावित करती हैं |छोटा बच्चा,घर-परिवार और नौकरी की जिम्मेवारियां मुझे बहुत कम समय देते हैं |
दूसरा कारण है की मेरा रुझान कहानियों(लम्बी कहानियों )की और अधिक है जबकि इस मंच पर सक्रिय मित्र गज़ल,गीत ,कविता और लघुकथा में अधिक सक्रिय है |इसलिए मैं 'प्रतिलिपि" और कहानी डॉट कोम जैसे ऑनलाइन मंचों पर भी पढ़ने-लिखने में समय देता होता है |
इसलिए कृपया अपने इस छोटे की इस निष्क्रियता को अन्य मित्र उपेक्षा ना समझें और अपना प्रेम और मार्गदर्शन बनाए रखें |
बहुत सुंदर भाव मन के
सोमेश जी आदाब,
अच्छी कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात पर ध्यान दें ।
जनाब सोमेश कुमार जी आदाब, अच्छी कविता हुई है,उस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक निवेदन ये है कि मंच पर आपकी सक्रियत अपनी रचना तक ही सीमित है, दूसरे रचनाकार भी आपकी अमूल्य प्रतिक्रया के हक़दार हैं,उन्हें मायूस न करें ।
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