क्षणिका - तूफ़ान ....
शब्
सहर से
उलझ पड़ी
सबा
मुस्कुराने लगी
देख कर
चूड़ी के टुकड़ों से
झांकता
शब् की कतरनों में
उलझता
सुलझता
जज़्बात का
तूफ़ान
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Samar kabeerजी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Shyam Narain Vermaजी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब, बहुत उम्दा क्षणिका हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई |
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