मापनी 1222 1222122
जहाँ ईमान का पौधा नहीं है
यक़ीनन बाग वह मेरा नहीं है
इबादतगाह में है शोर केवल
खुदा का जिक्र अब होता नहीं है
भले फूलों सा’ कोमल हो न सच, पर
किसी की राह का काँटा नहीं है
भलाई कर भुला देना है मुश्किल
सभी के बस का' ये बूता नहीं है
किसी की बात को दिल पर न ले जो
कभी अपनों को’ वो खोता नहीं है
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय बसंत कुमार जी, बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।
इबादतगाह में है शोर केवल
खुदा का जिक्र अब होता नहीं है
आदरणीय समर कबीर जी, सादर नमस्कार, आपका आशीष मिला गजल को, मन हर्षित है, लाजबाब अनुकरणीय सुझाव आपके. यूँ ही स्नेह बनाये रखें, सादर नमन
आदरणीया babitagupta जी दिल से शुक्रिया आपका
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
किसी का राह का काँटा नहीं है
इस मिसरे में 'का' को "की" कर लें ।
भलाई कर भुला देना न मुश्किल
इस मिसरे को यूँ कर लें:-
'भलाई कर भुला देना है मुश्किल'
बेहतरीन रचना द्वारा नैतिक मूल्यों का इन्सान में आईना दिखाना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online