For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- कब यहाँ पर प्यार की बातें हुईं

कब यहाँ पर प्यार की बातें हुईं

जब हुईं तकरार की बातें हुईं

 

दो मिनट कचनार की बातें हुईं

फिर अधिकतर खार की बातें हुईं

 

बाढ़ में जब बह चुका सब, तब कहीं

नाव की, पतवार की बातें हुईं

 

जून सा था वोट का सीजन, मगर  

श्रावणी बौछार की बातें हुईं

अल्पमत में आ गई सरकार जब,

चोर थानेदार की बातें हुईं

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 16, 2018 at 6:48am

आ. भाई बसंत जी, उम्दा गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 14, 2018 at 4:05pm

आदरणीया Neelam Upadhyaya जी हृदय से आभार आपका 

Comment by Neelam Upadhyaya on August 14, 2018 at 3:19pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी,  नमस्कार । अच्छी रचना की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 13, 2018 at 12:30pm

आदरणीय Gurpreet Singh जी आपकी इस्लाह का हृदय से आभार, आपका सुझाव उचित लगा मुझे भी , ठीक करता हूँ 

Comment by Gurpreet Singh jammu on August 12, 2018 at 5:50pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी ,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है । बहुत बहुत बधाई आपको ।  दूसरा शेर और ये वाला  शेर बहुत पसंद आए 

बाढ़ में जब बह चुका सब, तब कहीं

नाव की, पतवार की बातें हुईं

वैसे मुझे लगा कि ऊला में अगर ' चुका'  की  जगह ' गया'  शायद ज़्यादा ठीक रहता  

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 11, 2018 at 9:33pm

ह्रदय से आभार आदरणीय समर कबीर जी एवं रवि शुक्ला  जी आपका , सादर नमन 

Comment by Ravi Shukla on August 10, 2018 at 8:27pm

आदरणीय बसंत जी बहुत बहुत बधाई इस गजल के  लिए 

Comment by Samar kabeer on August 10, 2018 at 6:13pm

अब ठीक है ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2018 at 5:40pm

आदरणीय समर कबीर जी, आपके इस्लाह को सादर नमन, अभी देखें शायद  दोष दूर हुआ 

Comment by Samar kabeer on August 10, 2018 at 2:03pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

"जून सा था वोट का मौसम"

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "मौसम मगर" ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service