कब यहाँ पर प्यार की बातें हुईं
जब हुईं तकरार की बातें हुईं
दो मिनट कचनार की बातें हुईं
फिर अधिकतर खार की बातें हुईं
बाढ़ में जब बह चुका सब, तब कहीं
नाव की, पतवार की बातें हुईं
जून सा था वोट का सीजन, मगर
श्रावणी बौछार की बातें हुईं
अल्पमत में आ गई सरकार जब,
चोर थानेदार की बातें हुईं
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आ. भाई बसंत जी, उम्दा गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीया Neelam Upadhyaya जी हृदय से आभार आपका
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी, नमस्कार । अच्छी रचना की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय Gurpreet Singh जी आपकी इस्लाह का हृदय से आभार, आपका सुझाव उचित लगा मुझे भी , ठीक करता हूँ
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी , बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है । बहुत बहुत बधाई आपको । दूसरा शेर और ये वाला शेर बहुत पसंद आए
बाढ़ में जब बह चुका सब, तब कहीं
नाव की, पतवार की बातें हुईं
वैसे मुझे लगा कि ऊला में अगर ' चुका' की जगह ' गया' शायद ज़्यादा ठीक रहता
ह्रदय से आभार आदरणीय समर कबीर जी एवं रवि शुक्ला जी आपका , सादर नमन
आदरणीय बसंत जी बहुत बहुत बधाई इस गजल के लिए
अब ठीक है ।
आदरणीय समर कबीर जी, आपके इस्लाह को सादर नमन, अभी देखें शायद दोष दूर हुआ
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
"जून सा था वोट का मौसम"
इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "मौसम मगर" ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online